क्या आईएमए जेडीएन ने स्वास्थ्य मंत्री नड्डा को पत्र लिखकर नीट-एसएस कट-ऑफ कम करने की अपील की?

सारांश
Key Takeaways
- नीट-एसएस की कट-ऑफ को कम करने की मांग की जा रही है।
- उच्च कट-ऑफ के कारण योग्य उम्मीदवारों को अवसर नहीं मिल रहा।
- सुपर स्पेशियलिटी सीटें खाली रह गई हैं।
- कट-ऑफ में कमी से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो सकता है।
- पत्र में डॉक्टर्स की चिंताएं व्यक्त की गई हैं।
नई दिल्ली, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को डॉक्टर्स ने नीट-एसएस की कट-ऑफ को लेकर एक पत्र लिखा है। भारतीय चिकित्सा संघ के जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क ने मांग की है कि नीट-एसएस की कट-ऑफ को कम किया जाए। इन डॉक्टर्स का कहना है कि उच्च कट-ऑफ के कारण कई योग्य और समर्पित उम्मीदवारों को अवसर से वंचित होना पड़ रहा है।
जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क ने पत्र में लिखा, "देश के विभिन्न संस्थानों में सुपर स्पेशियलिटी की सीटें खाली होने के बावजूद नीट-एसएस 2025 में उच्च योग्यता प्रतिशत के कारण कई काबिल और समर्पित अभ्यर्थियों को मौजूदा समय में अवसर नहीं मिल रहा है। अब तक नीट-एसएस के दो काउंसलिंग राउंड हो चुके हैं, फिर भी कई सीटें खाली हैं।"
पत्र में डॉक्टर्स ने अपनी मांग रखते हुए लिखा, "हम अनुरोध करते हैं कि पहले की तरह इस बार भी कट-ऑफ पर्सेंटाइल में सहानुभूतिपूर्ण और विवेकपूर्ण कटौती की जाए। कई योग्य उम्मीदवार हैं जो कट-ऑफ से थोड़ा पीछे रह जाते हैं, लेकिन वे पूरी तरह से सक्षम और सुपर स्पेशियलिटी ट्रेनिंग करने के इच्छुक होते हैं। आने वाली काउंसलिंग राउंड में कट-ऑफ कम करने से इन डॉक्टरों को स्वास्थ्य सेवाओं में सार्थक योगदान का अवसर मिल सकेगा।"
आईएमए जेडीएन ने आगे लिखा, "रिक्त सुपर स्पेशियलिटी सीटें न केवल कैंडिडेट्स, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक अवसर चूकना है। यदि कट-ऑफ में कमी की जाती है तो इन सीटों को भरा जा सकता है, जिससे भारत के विभिन्न, विशेषकर ग्रामीण और कम सेवा प्राप्त क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ेगी।"
जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क ने यह भी कहा है कि कट-ऑफ प्रतिशत को कम करने से स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता से समझौता नहीं होगा। डॉक्टर्स ने पत्र में लिखा, "संशोधित कट-ऑफ के आधार पर चयनित सभी उम्मीदवार फिर भी नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के न्यूनतम योग्यता मानदंडों को पूरा करते हैं। इसके अलावा, वे मान्यता प्राप्त संस्थानों में अनुभवी फैकल्टी के अंतर्गत कठोर प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, जिससे हेल्थकेयर और चिकित्सीय दक्षता के मानक बने रहते हैं।"
पत्र में लिखा गया है, "मंत्रालय, एनएमसी या एनबीई की ओर से एक औपचारिक दिशा-निर्देश या सूचना यदि इस विषय पर जल्दी जारी की जाती है तो इससे परीक्षार्थियों को स्पष्टता मिलेगी और व्यवस्था की पारदर्शिता पर उनका विश्वास दृढ़ होगा।"