क्या भारतीय परिवारों के पास गोल्ड की वैल्यू बढ़कर 3.8 ट्रिलियन डॉलर हो गई है?

सारांश
Key Takeaways
- 34,600 टन गोल्ड भारतीय परिवारों के पास है।
- गोल्ड की वैल्यू 3.8 ट्रिलियन डॉलर है।
- पिछले एक साल में गोल्ड की कीमतों में 50% की वृद्धि हुई है।
- आरबीआई ने अपने गोल्ड रिजर्व में 75 टन की वृद्धि की है।
- सोने का आयात 1-1.5% के दायरे में है।
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान में भारतीय परिवारों के पास 34,600 टन गोल्ड है, जिसकी कुल वैल्यू लगभग 3.8 ट्रिलियन डॉलर या जीडीपी का 88.8 प्रतिशत है। यह जानकारी मॉर्गन स्टेनली द्वारा शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट में दी गई है।
पिछले एक वर्ष में सोने की कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई है और यह वर्तमान में ऑल-टाइम हाई पर है।
रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 4,056 डॉलर प्रति औंस है, जबकि घरेलू बाजार में सोने के दाम 1,27,300 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुँच गए हैं। इस वर्ष की शुरुआत से, सोने ने डॉलर में 54.6 प्रतिशत और रुपए में 61.8 प्रतिशत का रिटर्न प्रदान किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवारों द्वारा वित्तीय परिसंपत्तियों को प्राथमिकता देने के कारण सोने में निवेश में तेजी आई है, और पिछले 12 महीनों में ईटीएफ इनफ्लो 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। इस रुझान के जारी रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में उल्लेख है कि परंपरागत रूप से घरेलू खपत इस मांग का एक बड़ा हिस्सा होती है, लेकिन केंद्रीय बैंकों की खरीद में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2024 के लिए अपने गोल्ड रिजर्व में लगभग 75 टन की वृद्धि की है, जिससे कुल होल्डिंग 880 टन हो गई है, जो भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 14 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 में लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे को अपनाने के बाद से, मुद्रास्फीति दर औसतन 5 प्रतिशत रही है, जो सकारात्मक वास्तविक ब्याज दरों (महामारी के बाद नीति सामान्यीकरण के बाद से औसतन 1.7 प्रतिशत) के साथ मिलकर सोने के आयात को सकल घरेलू उत्पाद के 1-1.5 प्रतिशत के दायरे में रखने में सहायक रही है।
यह मई 2013 में दर्ज सकल घरेलू उत्पाद के 3.3 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर से काफी कम है। मजबूत व्यापक आर्थिक स्थिरता ने यह सुनिश्चित किया है कि परिवार फिजिकल एसेंट्स में बचत के लिए अत्यधिक प्राथमिकता विकसित न करें, जिससे सोने का आयात नियंत्रण में रहा है और चालू खाता घाटे पर दबाव कम हुआ है।