क्या 'इंडिजिनस पीपल फोरम मणिपुर' ने विश्व आदिवासी दिवस 2025 से पहले एकता की अपील की?

सारांश
Key Takeaways
- एकता की अपील सभी समुदायों से की गई है।
- विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को मनाया जाएगा।
- स्वदेशी जनजातियों के अधिकारों को बढ़ावा देने का प्रयास।
- सामूहिक शक्ति और एकता का मंच।
- जातीय संघर्षों का समाधान एकजुटता में है।
मणिपुर, १८ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। इंडिजिनस पीपल फोरम मणिपुर (आईपीएफएम) ने विश्व आदिवासी दिवस 2025 से पूर्व राज्य के सभी समुदायों से एकता और सहयोग का आह्वान किया है। यह विशेष अवसर ९ अगस्त को इंफाल के सिटी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया जाएगा।
मणिपुर प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में आईपीएफएम के अध्यक्ष अशांग कासर ने बताया कि फोरम के विभिन्न पूर्वोत्तर राज्यों के प्रतिनिधि इस दिवस के भव्य समारोह में भाग लेने के लिए इंफाल में एकत्रित होंगे।
उन्होंने मणिपुर के सभी नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) और समाज के विभिन्न वर्गों से इस आयोजन के दिन किसी भी प्रकार के बंद, विरोध या नाकेबंदी का आह्वान करने से बचने की अपील की। कासर ने कहा, "मणिपुर के स्वदेशी जन मंच के हित में और विश्व स्वदेशी दिवस 2025 की शानदार सफलता के लिए, मैं सभी संबंधित समूहों से अनुरोध करता हूं कि वे ९ अगस्त को किसी भी ऐसी गतिविधि का आयोजन न करें जिसका परिणाम विघटनकारी हो।"
'अधिकारों की रक्षा, भविष्य को आकार देना' विषय के अंतर्गत, आईपीएफएम का उद्देश्य इस अवसर का उपयोग राज्य में रहने वाली स्वदेशी जनजातियों और समुदायों के बीच एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए करना है। कासर ने जोर देकर कहा कि यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि स्वदेशी आबादी के बीच सामूहिक शक्ति और एकता को व्यक्त करने का एक मंच है।
हम स्वदेशी लोगों, जनजातियों और समुदायों के रूप में अपनी एकजुटता प्रदर्शित करना चाहते हैं। मैं सभी से, विशेष रूप से मणिपुर के स्वदेशी लोगों से, अपना समर्थन और सहयोग देने का आग्रह करता हूं। उन्होंने आगे कहा, "हम सब मिलकर देश और दुनिया के बाकी हिस्सों में एकता का एक मजबूत संदेश भेज सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि इस उत्सव के माध्यम से, हम यह दिखाना चाहते हैं कि एकजुट होकर हम अपनी भूमि की रक्षा कर सकते हैं और एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। एकजुटता ही हमारी ताकत है।
राज्य में चल रहे जातीय संघर्ष को लेकर कासर ने कहा कि इस संकट की जड़ स्वदेशी और गैर-स्वदेशी आबादी के बीच की खाई है। स्वदेशी समुदायों के बीच एकता राज्य की समस्याओं के समाधान की कुंजी है।
विश्व आदिवासी दिवस, दुनिया भर के आदिवासी लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए प्रतिवर्ष ९ अगस्त को मनाया जाता है।