क्या इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग में 23 देशों के विशेषज्ञ समुद्र की चुनौतियों पर चर्चा कर रहे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना।
- समुद्री चुनौतियों के लिए ठोस समाधान तैयार करना।
- अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को सशक्त करना।
- जलवायु सुरक्षा और ब्लू इकॉनमी पर ध्यान केंद्रित करना।
- क्षेत्रीय समुद्री एजेंडे को निर्धारित करना।
दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस) भारतीय नौसेना और नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन के सहयोग से इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग-2025 का आयोजन नई दिल्ली में हो रहा है। यह भारतीय नौसेना का एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच है, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और सतत विकास को सशक्त बनाने की भारत की रणनीति को दर्शाता है।
भारतीय नौसेना के वर्तमान और पूर्व वरिष्ठ अधिकारी भी इस संवाद में भाग ले रहे हैं। इस डायलॉग में 23 देशों के विशेषज्ञ शामिल हैं, जो भारतीय नौसेना की अंतरराष्ट्रीय साझेदारी और भारत के सुरक्षित, स्थिर और समृद्ध इंडो-पैसिफिक विजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यहां संवाद आगे बढ़कर साझा विकास और सुरक्षा के ठोस समाधान तैयार करने पर केंद्रित है।
इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग-2025 का मुख्य उद्देश्य समकालीन और भविष्य की समुद्री चुनौतियों का समाधान खोजना है। यह क्षेत्रीय क्षमता निर्माण और संवर्धन को प्रोत्साहित करता है। यह आयोजन जलवायु सुरक्षा, ब्लू इकॉनमी, सप्लाई चेन और क्रिटिकल अंडरवाटर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे विषयों पर नीति निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। इसके अलावा, यह विभिन्न सरकारी एजेंसियों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, निजी क्षेत्र और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
इस साल डायलॉग का विषय है ‘समग्र समुद्री सुरक्षा और विकास को बढ़ावा: क्षेत्रीय क्षमता निर्माण और योग्यता संवर्द्धन’। नौसेना के अनुसार, इस तीन दिवसीय संवाद में इंडो-पैसिफिक और अन्य देशों के रणनीतिक लीडर्स, नीति-निर्माता, राजनयिक और समुद्री विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। ये विशिष्ट व्यक्ति साझा समुद्री हितों और सुरक्षा चुनौतियों पर विचार-विमर्श करेंगे। इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग अब अपने सातवें संस्करण में पहुंच चुका है।
यह भारतीय नौसेना की एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पहल है, जो 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 14वें ईस्ट एशिया समिट में प्रस्तुत इंडो-पैसिफिक ओशियन इनीशिएटिव की भावना पर आधारित है। इसका फोकस केवल विचार नहीं, बल्कि ठोस कार्ययोजना और नीति-स्तर के समाधान तैयार करना है। यह सम्मेलन महासागर नीति पर आधारित है, जो भारत की ‘साझा सुरक्षा और विकास’ के विजन को रेखांकित करता है।
भारत की इंडो-पैसिफिक विजन समावेशी है, जिसमें नौसेनाओं, कोस्ट गार्ड, नीति संस्थानों, अकादमिक जगत और उद्योग जगत सभी को भागीदारी के लिए आमंत्रित किया गया है। पहले दिन, 28 अक्टूबर को जलवायु परिवर्तन और समुद्री सुरक्षा पर प्रभाव पर चर्चा की जा रही है, जिसमें अफ्रीका, इंडोनेशिया और बांग्लादेश के विशेषज्ञ शामिल हैं।
नौसेना के अनुसार, इस वर्ष कुल 42 वक्ता भाग ले रहे हैं, जिनमें से 23 देशों के 30 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल हैं। इनमें प्रतिष्ठित राजदूत, वरिष्ठ राजनयिक, नीति-विश्लेषक और समुद्री रणनीति विशेषज्ञ शामिल होंगे। नौसेना का मानना है कि इस संवाद के निष्कर्ष आने वाले वर्षों के लिए क्षेत्रीय समुद्री एजेंडा तय करने में मार्गदर्शक सिद्ध होंगे, जिससे भारत की भूमिका को और सुदृढ़ किया जा सकेगा।