क्या इंदौर में चूहों के काटने से नवजात शिशुओं की मौत पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए? : डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल

सारांश
Key Takeaways
- चूहा काटने की गंभीर घटना
- उपमुख्यमंत्री द्वारा सख्त कार्रवाई के निर्देश
- स्वच्छता और सुरक्षा पर जोर
भोपाल, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम वाय अस्पताल में चूहा काटने से हुई दो नवजात शिशुओं की मौत के मामले में राज्य के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
राजेंद्र शुक्ल ने मंत्रालय में इंदौर में हुई चूहा काटने की घटना की जांच की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि सभी कार्रवाई निष्पक्षता, पारदर्शिता और तथ्यों के आधार पर होनी चाहिए। इस तरह की घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं की छवि को धूमिल करती हैं, इसलिए दोषियों की पहचान कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी उपाय तुरंत लागू किए जाने चाहिए।
अस्पतालों की स्वच्छता पर जोर देते हुए डिप्टी सीएम शुक्ल ने कहा कि अस्पताल परिसरों की स्वच्छता, सुरक्षा और मरीजों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बैठक में प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा संदीप यादव, आयुक्त चिकित्सा शिक्षा तरुण राठी, और एम.डी. एम.पी. पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड मयंक अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
इंदौर के एम वाय अस्पताल में हाल ही में दो नवजात शिशुओं को चूहों ने काट लिया था, जिससे उनकी हालत गंभीर हो गई थी और एक दिन के अंतराल में दोनों नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद सरकार ने अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक यादव, विभागाध्यक्ष डॉ. बृजेश लाहोटी, प्रो. डॉ. मनोज जोशी और सहायक प्रभारी नर्सिंग अधिकारी कलावती भलावी को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
साथ ही, सहायक अधीक्षक एवं भवन प्रभारी डॉ. मुकेश जायसवाल, प्रभारी नर्सिंग अधिकारी प्रवीणा सिंह, और नर्सिंग अधिकारी आकांक्षा बेंजामिन एवं श्वेता चौहान को निलंबित कर दिया गया है। नर्सिंग अधीक्षक मार्गरेट जोसफ को पद से हटा दिया गया है और नर्सिंग अधिकारी प्रेमलता राठौर का स्थानांतरण मानसिक चिकित्सालय में किया गया है।
इस मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है और उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने भी कलेक्टर को नोटिस जारी कर पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट मांगी है।