क्या इरफान अंसारी का बयान सियासी बवाल का कारण बना?
सारांश
Key Takeaways
- इरफान अंसारी का बयान सियासी विवाद का कारण बना।
- भाजपा ने इसे असंवैधानिक बताया।
- अंसारी ने कहा कि उनका बयान फर्जी बीएलओ के खिलाफ था।
- चुनाव आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है।
- सार्वजनिक मंच पर ऐसे बयानों से चुनावी निष्पक्षता प्रभावित होती है।
रांची, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री एवं कांग्रेस नेता इरफान अंसारी के एक बयान को लेकर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। बीते रविवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “यदि गाँव में बीएलओ आते हैं, तो उन्हें गेट में ताला लगाकर बंद कर दें। बाद में मैं आकर गेट खुलवाऊंगा।” अंसारी के इस बयान का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर फैल गया। भारतीय जनता पार्टी ने इसे संवैधानिक और भड़काऊ बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
इस सियासी हंगामे के बीच, अंसारी ने सोमवार शाम को स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उनके बयान को उनके राजनीतिक विरोधियों ने गलत तरीके से पेश किया है। भाजपा वास्तव में 'इरफान फोबिया' से ग्रस्त है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मंत्री का बयान संवैधानिक, भड़काऊ और चुनाव आयोग के अधिकारों में सीधी दखलअंदाजी है।
मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अंसारी को तुरंत मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान की रक्षा का दावा करने वाले कांग्रेस नेता ही अब चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने वाले बयान दे रहे हैं। उनका कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन, सही और त्रुटिरहित बनाना है। इसमें मृत और स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना, नए योग्य मतदाताओं को शामिल करना, और फर्जी या डुप्लीकेट प्रविष्टियों को पहचानकर हटाना शामिल है। यह प्रक्रिया चुनावी निष्पक्षता को बनाए रखने की आधारशिला है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक मंच से बीएलओ को 'गेट में बंद करने' की अपील न केवल चुनावी कर्मियों की सुरक्षा को खतरे में डालती है, बल्कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं का गंभीर उल्लंघन भी है। उन्होंने चुनाव आयोग से भी बयान का संज्ञान लेकर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
वहीं, मंत्री इरफान अंसारी ने सोमवार शाम को बताया कि उनका बयान असली बीएलओ के लिए नहीं, बल्कि फर्जी और नकली बीएलओ के संदर्भ में था, जो ग्रामीणों को डराकर पैसे वसूलते हैं। अंसारी ने यह भी कहा कि जामताड़ा और आसपास के क्षेत्रों में फर्जी बीएलओ बनकर नाम कटवाने की धमकी देकर अवैध वसूली की कई शिकायतें आई थीं। इन शिकायतों को पहले भी जिला प्रशासन को भेजा गया था और विशेष निगरानी की मांग की गई थी।
उन्होंने कहा, “बीएलओ सम्मानित अधिकारी हैं और निर्वाचन आयोग का अभिन्न हिस्सा हैं। किसी फर्जी व्यक्ति को उनकी जगह नहीं लेने दिया जा सकता। मेरा बयान केवल फर्जी लोगों के खिलाफ था, असली बीएलओ के खिलाफ नहीं।” उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीणों से अपील की गई थी कि संदिग्ध व्यक्तियों को रोककर तुरंत पुलिस को सूचित करें, ताकि किसी मतदाता का नाम गलत तरीके से न कटे और चुनाव आयोग की प्रक्रिया निष्पक्ष रहे।