क्या जबलपुर की सीबीआई अदालत ने 14 साल पुराने रिश्वतखोरी मामले में एलआईसी के पूर्व सहायक अभियंता को 4 साल की सजा सुनाई?

सारांश
Key Takeaways
- जबलपुर में रिश्वतखोरी का मामला गंभीर अपराध है।
- सीबीआई ने आरोपी को गिरफ्तार कर सख्त कार्रवाई की।
- भ्रष्टाचार के खिलाफ न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- 14 साल पुराना मामला, लेकिन न्याय की प्रक्रिया सफल रही।
- यह मामला समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करेगा।
जबलपुर, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जबलपुर की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 14 साल पुराने रिश्वतखोरी के मामले में एलआईसी के एक पूर्व सहायक अभियंता को चार साल की कठोर कारावास और 10,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।
3 सितंबर को अदालत ने योगेश अरोड़ा को दोषी ठहराया, जो अपराध के समय एलआईसी के जबलपुर कार्यालय में सहायक अभियंता के पद पर तैनात था।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें अदालत के फैसले की जानकारी दी गई।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सीबीआई ने अगस्त 2011 में एक शिकायत मिलने के बाद मामला दर्ज किया था कि अरोड़ा ने एलआईसी कार्यालयों में विद्युत रखरखाव कार्यों से संबंधित बिलों को मंजूरी देने के लिए एक ठेकेदार से 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी।
यह रिश्वत एलआईसी कार्यालयों में किए गए विद्युत रखरखाव कार्यों के बिलों की तैयारी और भुगतान में आधिकारिक पक्षपात दिखाने के एवज में थी।
ठेकेदार ने 93,000 रुपए का काम पूरा कर लिया था और उसके पास 35,000 से 40,000 रुपए के बिल भी लंबित थे।
सहायक अभियंता के बारे में शिकायत मिलने के बाद सीबीआई की एक टीम ने जाल बिछाया और उसे शिकायतकर्ता से 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगते हुए गिरफ्तार किया।
सीबीआई ने आरोपी के पास से 10 हजार रुपए भी बरामद किए। जांच पूरी करने के बाद एजेंसी ने जनवरी 2012 में आरोप पत्र दायर किया। लंबी सुनवाई के बाद विशेष सीबीआई न्यायाधीश ने बुधवार को फैसला सुनाया, जिसमें आरोपी को भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया और जेल की सजा सुनाई गई।