क्या जगदीप धनखड़ का इस्तीफा सुनियोजित राजनीतिक घटनाक्रम का हिस्सा है? : पप्पू यादव

सारांश
Key Takeaways
- जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
- पप्पू यादव का कहना है कि यह इस्तीफा भाजपा और आरएसएस के बीच की अंदरूनी खींचतान का नतीजा है।
- स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा देना एक सामान्य प्रक्रिया है।
- यह राजनीतिक घटनाक्रम आगामी चुनावों पर असर डाल सकता है।
- भारतीय राजनीति में स्वाभिमान और ईगो की लड़ाई महत्वपूर्ण हो गई है।
नई दिल्ली, २२ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे की खबर ने पूरे देश में चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है। सांसद पप्पू यादव ने इस इस्तीफे पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व को न तो संविधान से सरोकार है, न लोकतंत्र से और न ही स्वतंत्रता से। जब जगदीप धनखड़ निष्पक्षता और सच्चाई के मार्ग पर चले, तब उन्हें स्वीकार नहीं किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि धनखड़ का इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों से नहीं, बल्कि एक सुनियोजित राजनीतिक घटनाक्रम का हिस्सा है। जब स्वास्थ्य खराब था, तब तो उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया, लेकिन सत्र के पहले दिन इस्तीफा देना एक संकेत है कि कुछ बड़ा चल रहा है। धनखड़ जाट समुदाय से हैं और उनकी स्वाभिमानी प्रवृत्ति भाजपा के नेतृत्व को पसंद नहीं आई। अब उनका आत्मसम्मान जाग गया है और उन्होंने कहा कि - 'लो अपना पद, अब हम सच्चाई के मार्ग पर चलेंगे।'
पप्पू यादव ने यह भी कहा कि यह इस्तीफा दरअसल भाजपा और आरएसएस के बीच चल रही अंदरूनी खींचतान का परिणाम है। यह दो बड़ी हस्तियों के बीच इगो कलैश है, जिसमें धनखड़ बलि का बकरा बन गए हैं।
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि यह मेरे लिए चौंकाने वाली और भारतीय राजनीति के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। सत्तारूढ़ दल के नेताओं, विशेषकर प्रधानमंत्री को उन्हें मनाने का प्रयास करना चाहिए था।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद रामगोपाल यादव ने इस्तीफे को लेकर ज्यादा टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि वे स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं, मैं इसके पीछे की बातों को नहीं जानता।
गौरतलब है कि भारत के १४वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा उस समय आया है, जब उनके कार्यकाल के अभी दो साल बाकी हैं। अगस्त २०२२ में पदभार ग्रहण करने वाले धनखड़ ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र भेजा, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद ६७(ए) का उल्लेख किया है।