क्या जगजीवन राम ने भारतीय राजनीति में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?

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क्या जगजीवन राम ने भारतीय राजनीति में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?

सारांश

भारतीय राजनीति के एक अद्वितीय नेता, जगजीवन राम ने सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष किया। उनकी कहानी न केवल दलित समुदाय के उत्थान की है, बल्कि यह स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक की प्रेरणा है। जानें कैसे उन्होंने अपने कार्यों से देश का भविष्य बदला।

Key Takeaways

  • जगजीवन राम का जीवन दलित समुदाय के लिए प्रेरणा है।
  • उन्होंने सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।
  • रक्षा मंत्री के रूप में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही।
  • वे भारतीय राजनीति में सबसे लंबे समय तक सांसद रहे।
  • उनकी बेटी मीरा कुमार भी राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं।

नई दिल्ली, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय राजनीति के इतिहास में कुछ ऐसे अद्वितीय व्यक्तित्व सामने आए हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से एक स्थायी छाप छोड़ी। बाबू जगजीवन राम उन्हीं में से एक हैं। दलित समुदाय से संबंध रखने वाले इस उत्कृष्ट नेता ने न केवल सामाजिक बंधनों को तोड़ा, बल्कि अपने कार्यों से देश की प्रगति में अहम योगदान दिया। एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और कुशल प्रशासक के रूप में उनकी पहचान भारतीय राजनीति के स्वर्णिम अध्यायों में दर्ज है।

जगजीवन राम की कहानी एक ऐसे राजनेता की है जिन्होंने हर कदम पर समानता और न्याय के लिए संघर्ष किया। दलित परिवार में जन्मे जगजीवन राम ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर स्वतंत्र भारत के निर्माण तक, अपने नेतृत्व, दृष्टि और सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण से एक नई कहानी लिखी। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में रक्षा मंत्री के रूप में उनकी भूमिका हो या रेलवे के आधुनिकीकरण में योगदान, बाबूजी की विरासत आज भी प्रेरणा देती है।

जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल 1908 को बिहार के भोजपुर जिले के चंदवा गांव में एक दलित परिवार में हुआ। उस समय जब जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता अपने चरम पर थी, जगजीवन राम ने शिक्षा को अपने जीवन का आधार बनाया। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की, जो उस समय दलित समुदाय के युवाओं के लिए एक असाधारण उपलब्धि थी। उनकी शिक्षा और जागरूकता ने उन्हें सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।

जगजीवन राम ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर की। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य बने और महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में सम्मिलित हुए। उनकी संगठन क्षमता और जनता से जुड़ने की कला ने उन्हें जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। स्वतंत्रता के बाद, जगजीवन राम ने देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। वे केंद्र सरकार में विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री रहे, जिनमें श्रम, संचार, रेलवे, खाद्य एवं कृषि, और रक्षा मंत्रालय शामिल हैं।

वे 1950 से 1952 तक प्रोविजनल पार्लियामेंट का हिस्सा रहे। इसके बाद 1952 में हुए पहले चुनाव में बिहार की सासाराम सीट से लोकसभा चुनाव जीते और 1986 में निधन तक इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे भारतीय राजनीति में सबसे लंबे समय तक सांसद रहने वालों में से एक थे। इस दौरान उन्होंने विभिन्न दलों और विचारधाराओं के साथ काम किया, लेकिन सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता कभी भी डगमगाई नहीं।

उनका सबसे उल्लेखनीय योगदान रक्षा मंत्री के रूप में रहा, जब 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत ने ऐतिहासिक विजय प्राप्त की। इस युद्ध ने बांग्लादेश के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया और जगजीवन राम के नेतृत्व की प्रशंसा देश-विदेश में हुई। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में रेलवे का विस्तार हुआ और इसे जनता के लिए अधिक सुलभ बनाया गया।

खाद्य एवं कृषि मंत्री के रूप में, जगजीवन राम ने 1960 के दशक में भारत की हरित क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए नए बीजों, उर्वरकों और आधुनिक तकनीकों को प्रोत्साहित किया गया, जिससे देश खाद्य आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा।

साल 1977 में जगजीवन राम ने कांग्रेस छोड़कर 'कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी' की स्थापना की और जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया। इस गठबंधन की जीत के बाद, वे मोरारजी देसाई सरकार में उपप्रधानमंत्री बने।

जगजीवन राम का सबसे बड़ा योगदान सामाजिक समानता के क्षेत्र में रहा। दलित समुदाय से होने के बावजूद, उन्होंने कभी अपनी जातिगत पहचान को अपने कार्यों पर हावी नहीं होने दिया। वे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ मुखर थे और दलितों के उत्थान के लिए कई नीतियों को लागू करने में सहायता की। उनकी बेटी मीरा कुमार भी उनके नक्शेकदम पर चलते हुए भारतीय राजनीति में एक प्रमुख चेहरा बनीं और लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष बनीं।

जगजीवन राम का निधन 6 जुलाई 1986 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने न केवल राजनीति में बल्कि समाज सुधार, शिक्षा और समानता के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाई। बाबूजी का जीवन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो सामाजिक बाधाओं को पार कर अपने सपनों को साकार करना चाहता है।

Point of View

जिसे हमें आगे बढ़ाना चाहिए। उनकी उपलब्धियाँ न केवल दलित समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

जगजीवन राम का जन्म कब हुआ?
जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल 1908 को बिहार के भोजपुर जिले के चंदवा गांव में हुआ।
जगजीवन राम ने किन मंत्रालयों में कार्य किया?
जगजीवन राम ने श्रम, संचार, रेलवे, खाद्य एवं कृषि, और रक्षा मंत्रालय में कार्य किया।
जगजीवन राम का सबसे बड़ा योगदान क्या था?
उनका सबसे बड़ा योगदान सामाजिक समानता और दलित समुदाय के उत्थान के लिए था।
जगजीवन राम के निधन की तिथि क्या है?
जगजीवन राम का निधन 6 जुलाई 1986 को हुआ।
क्या जगजीवन राम ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया?
हाँ, जगजीवन राम ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने।