क्या जयराम रमेश ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को अरावली पहाड़ियों की 'नई परिभाषा' के बारे में पत्र लिखा?

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क्या जयराम रमेश ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को अरावली पहाड़ियों की 'नई परिभाषा' के बारे में पत्र लिखा?

सारांश

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस विषय पर कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे हैं, जो पर्यावरण और भूगोल की एकता को प्रभावित कर सकते हैं। जानिए उनके प्रश्न और चिंताएं क्या हैं।

Key Takeaways

  • जयराम रमेश ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखा।
  • नई परिभाषा पर चार प्रश्न उठाए गए हैं।
  • अरावली की भौगोलिक और पारिस्थितिकीय एकता पर असर पड़ सकता है।
  • छोटी पहाड़ियों की पारिस्थितिकीय महत्वता पर जोर दिया गया है।
  • पर्यावरण के मुद्दों पर राजनीतिक दलों को एकजुट होना चाहिए।

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने रविवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को एक पत्र लिखा। उन्होंने अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया और इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्री से चार प्रश्न पूछे हैं।

जयराम रमेश ने कहा कि अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा पर कई चिंताएं हैं, जो उन्हें 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले लैंडफॉर्म तक सीमित करती हैं। उन्होंने पत्र के माध्यम से केंद्रीय मंत्री से पूछा, "क्या यह सच नहीं है कि 2012 से राजस्थान में अरावली पहाड़ियों और रेंज की परिभाषा 28 अगस्त 2010 की फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) की एक रिपोर्ट पर आधारित थी?"

रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए जयराम रमेश ने बताया, "इसमें कहा गया था कि ऐसे सभी क्षेत्र जिनका ढलान 3 डिग्री या अधिक है, उन्हें पहाड़ियों के रूप में दर्शाया जाएगा। साथ ही, ढलान वाली तरफ एक समान 100 मीटर चौड़ा बफर जोड़ा जाएगा, ताकि 20 मीटर की पहाड़ी ऊंचाई के अनुसार संभावित फैलाव को ध्यान में रखा जा सके। इन क्षेत्रों में आने वाले समतल इलाके, टेबलटॉप, गड्ढे और घाटियां भी पहाड़ियों का हिस्सा मानी जाएंगी।"

कांग्रेस नेता ने 20 सितंबर के एक एफएसआई कम्युनिकेशन का भी उल्लेख किया, जिसमें छोटी पहाड़ियों की पारिस्थितिकीय महत्वता पर जोर दिया गया था। उन्होंने एफएसआई कम्युनिकेशन का हवाला देते हुए लिखा, "अरावली की छोटी पहाड़ी संरचना भारी रेत के कणों को रोककर रेगिस्तान बनने से बचाने के लिए प्राकृतिक बैरियर का काम करती है। इस प्रकार, यह दिल्ली और आस-पास के मैदानों को रेत के तूफानों से बचाती है।"

इसके अलावा, जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की एक रिपोर्ट का भी संदर्भ दिया और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से प्रश्न उठाया।

उन्होंने अंत में लिखा, "क्या यह सच नहीं है कि इस नई परिभाषा से कई छोटी पहाड़ियां और अन्य भूभाग समाप्त हो जाएंगे और चार राज्यों में फैली अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की भौगोलिक और पारिस्थितिकीय एकता भी टूट जाएगी और कमजोर हो जाएगी?"

Point of View

NationPress
28/12/2025

Frequently Asked Questions

जयराम रमेश ने किस विषय पर पत्र लिखा?
जयराम रमेश ने अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखा।
उनका पत्र किसके खिलाफ था?
यह पत्र केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के खिलाफ था, जिसमें उन्होंने नई परिभाषा पर प्रश्न उठाए।
क्या नई परिभाषा से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ेगा?
जयराम रमेश ने चिंता व्यक्त की है कि नई परिभाषा से कई छोटी पहाड़ियां समाप्त हो सकती हैं, जिससे पर्यावरणीय एकता प्रभावित हो सकती है।
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