क्या जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई की छुट्टी पर विवाद है? भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष ने महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा

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क्या जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई की छुट्टी पर विवाद है? भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष ने महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा

सारांश

कश्मीर में 13 जुलाई की छुट्टी पर विवाद गहराता जा रहा है। महबूबा मुफ्ती ने इसकी मांग की है, जबकि भाजपा युवा मोर्चा के अरुण प्रभात ने उन पर और उमर अब्दुल्ला पर तीखा हमला किया है। इस लेख में जानिए इस मुद्दे की गहराई।

Key Takeaways

  • जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई की छुट्टी पर विवाद
  • महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के बीच आरोप
  • भाजपा युवा मोर्चा का कड़ा रुख
  • आतंकवाद और अलगाववाद पर चर्चा
  • नौकरी से वंचित करने वाली नीतियों का विरोध

श्रीनगर, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई को सरकारी छुट्टी की घोषणा न होने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पत्र लिखकर छुट्टी की मांग की थी। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) युवा मोर्चा के अध्यक्ष अरुण प्रभात ने महबूबा और उमर अब्दुल्ला पर कड़ा हमला किया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि ये दोनों नेता तुष्टीकरण की राजनीति और अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं। राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए अरुण प्रभात ने कहा, "धारा 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान पूरी तरह लागू है। महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान का एजेंडा आगे बढ़ाना चाहती हैं, लेकिन इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"

उन्होंने 13 जुलाई 1931 की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि उस दिन कथित नरसंहार और आगजनी के दौरान अलगाववादी ताकतों ने हिंसा भड़काई थी। प्रभात ने दावा किया कि उस समय महाराजा की सेनाओं ने जवाबी कार्रवाई में आतंकवादियों को निशाना बनाया था, जिन्हें अब कुछ लोग "शहीद" बताकर उनकी छुट्टी की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इसे आतंकवादी मानसिकता करार देते हुए कहा, "नया जम्मू-कश्मीर आतंकवाद और अलगाववाद को प्रोत्साहित नहीं करेगा।"

उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में कोलकाता दौरे के दौरान एक बयान में कहा था कि उनके पास सुरक्षा बलों पर नियंत्रण नहीं है। प्रभात ने तंज करते हुए कहा, "उमर को 1989 का वह दौर याद करना चाहिए, जब कश्मीरी पंडितों को पलायन के लिए मजबूर किया गया। उस समय की जिम्मेदारी किसकी थी?" उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली मानसिकता से ग्रस्त हैं।

उन्होंने उमर अब्दुल्ला की नीतियों पर भी सवाल उठाए, विशेष रूप से नायब तहसीलदार भर्ती में उर्दू को अनिवार्य करने के फैसले को। प्रभात ने इसे "बहिष्कार की राजनीति" करार देते हुए कहा कि यह कदम 80 प्रतिशत से अधिक युवाओं को नौकरी से वंचित करता है और संविधान के समान अवसर (अनुच्छेद 14-16) के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।

उन्होंने आगे कहा, "उमर अब्दुल्ला और इंडिया ब्लॉक संविधान की बात करते हैं, लेकिन उनकी नीतियां संविधान की धज्जियां उड़ाती हैं।" प्रभात ने महबूबा मुफ्ती पर भी हमला बोलते हुए उन्हें "आतंकवादियों को प्रोत्साहित करने वाली" नेता बताया। उन्होंने कहा, "महबूबा की स्व-शासन और पाकिस्तान के साथ संयुक्त नियंत्रण की बातें उनकी मानसिकता को दर्शाती हैं। कश्मीरी समाज ने उन्हें और उनकी पार्टी को नकार दिया है।"

Point of View

मेरा मानना है कि जम्मू-कश्मीर में चल रहा यह विवाद केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। नेताओं को जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।

NationPress
25/07/2025

Frequently Asked Questions

क्या 13 जुलाई को छुट्टी घोषित की जाएगी?
अभी तक इस पर कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया गया है।
महबूबा मुफ्ती की मांग क्या है?
महबूबा मुफ्ती ने 13 जुलाई को सरकारी छुट्टी घोषित करने की मांग की है।