क्या जम्मू-कश्मीर में आपदा प्रभावितों के लिए 5,061 नए घरों का निर्माण होगा?

सारांश
Key Takeaways
- 5,061 नए घरों का निर्माण जम्मू-कश्मीर में शुरू होगा।
- यह योजना प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों के लिए है।
- उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया है।
- आवश्यक राहत और पुनर्वास कार्यों के लिए केंद्र सरकार से सहयोग की आवश्यकता है।
- यह योजना आर्थिक स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
श्रीनगर, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत जम्मू-कश्मीर में 5,061 नए घरों के निर्माण को मंजूरी दी है। यह योजना केंद्र शासित प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों को राहत प्रदान करने के लिए है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को यह जानकारी साझा की।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस मंजूरी से हजारों प्रभावित परिवारों को सुरक्षा, स्थिरता और आशा की नई किरण मिलेगी।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभारी हूं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के ग्रामीण क्षेत्रों में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदाओं के कारण क्षतिग्रस्त हुए 5,061 घरों के निर्माण को मंजूरी दी है।"
उपराज्यपाल ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, "पीएमएवाई-जी की विशेष परियोजना के तहत यह मंजूरी हजारों परिवारों के जीवन में सुरक्षा और स्थिरता वापस लाएगी। एक नया घर परिवारों को आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा, जिससे परिवार की खुशहाली में सुधार होगा।"
इससे पहले, जम्मू-कश्मीर सरकार ने सोमवार को कहा कि वह केंद्र शासित प्रदेश में बाढ़ से प्रभावित लोगों की त्वरित सहायता के लिए केंद्र से संपर्क करेगी। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में बाढ़ राहत और पुनर्वास उपायों की व्यापक समीक्षा के लिए एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने सभी विभागों को अपने आकलन में तेजी लाने का निर्देश दिया ताकि राहत और पुनर्वास के अनुमान बिना किसी देरी के केंद्र को प्रस्तुत किए जा सकें।
उन्होंने बाढ़ के दौरान जारी की गई धनराशि के बारे में पूछताछ की और उन्हें बताया गया कि कई जिलों में इन निधियों का उपयोग अस्थायी पुनर्वास कार्यों में किया गया है।