क्या जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलेगा? सुप्रीम कोर्ट ने जमीनी हकीकत पर निर्णय लेने की बात कही

सारांश
Key Takeaways
- राज्य का दर्जा: जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग पर सुनवाई चल रही है।
- जमीनी हकीकत: फैसले में जमीनी हकीकत का ध्यान रखना आवश्यक है।
- सुरक्षा: सुरक्षा और स्थिरता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- संघवाद: नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना संघवाद का मूल सिद्धांत है।
- अगली सुनवाई: मामले की अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद होगी।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। इस मौके पर अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले पर निर्णय करते समय जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में पीठ ने पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं चिंता का विषय हैं और इन्हें ध्यान में रखना जरूरी है।
इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की दिशा में कदम उठा रही है, लेकिन वर्तमान में वहां कुछ अजीबोगरीब परिस्थितियां हैं। उन्होंने याद दिलाया कि चुनावों के बाद राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन पहले ही दिया जा चुका है, परंतु मौजूदा हालात को देखते हुए यह प्रश्न अभी क्यों उठ रहा है, यह स्पष्ट नहीं है।
मेहता ने अदालत से आग्रह किया कि सरकार की आधिकारिक राय प्रस्तुत करने के लिए उन्हें 8 हफ्ते का समय दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद तय करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि इस मुद्दे पर कोई भी निर्णय लेते समय सुरक्षा और स्थिरता के पहलुओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
जहूर अहमद भट और कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य का दर्जा बहाल करने में लगातार हो रही देरी जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है और संघवाद की अवधारणा का भी उल्लंघन कर रही है। आवेदकों का तर्क है कि समयबद्ध सीमा के भीतर राज्य का दर्जा बहाल न करना संघवाद का उल्लंघन है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।
पहले की सुनवाई में एसजी मेहता ने अदालत को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय कोई विशिष्ट समय-सीमा नहीं बता सकता और राज्य का दर्जा बहाल करने में "कुछ समय" लगेगा। मई 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि "रिकॉर्ड में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है" और मामले को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया।