क्या ऑपरेशन सिंदूर ने महिलाओं को दीपावली दीपक बनाने की प्रेरणा दी?

सारांश
Key Takeaways
- जम्मू-कश्मीर की महिलाएं ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरित हैं।
- विशेष दीपक देशभक्ति का संदेश देते हैं।
- महिलाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
- ये दीपक वोकल फॉर लोकल को प्रोत्साहित करते हैं।
- इस पहल से आर्थिक संबल भी प्राप्त हो रहा है।
जम्मू-कश्मीर, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हाल ही में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के विरुद्ध किए गए सफल हवाई अभियान 'ऑपरेशन सिंदूर' का असर अब दीपावली के अवसर पर भी देखने को मिल रहा है। जम्मू-कश्मीर ग्रामीण आजीविका मिशन की 'उम्मीद स्कीम' से जुड़ी महिलाएं इस अभियान से प्रेरित होकर विशेष प्रकार के दीपक बना रही हैं, जो न केवल इस पर्व की रौनक बढ़ाएंगे, बल्कि देशभक्ति का संदेश भी देंगे।
ऑपरेशन सिंदूर की शानदार सफलता ने पूरे देश में एक नया उत्साह और गर्व पैदा किया था, जिसका प्रभाव अब इन स्थानीय कारीगरों के हस्तशिल्प में झलक रहा है। 'उम्मीद स्कीम' के तहत स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं इन दीपकों को विशेष रूप से डिजाइन कर रही हैं।
इन विशेष दीपकों में ऑपरेशन सिंदूर की भावना को दर्शाने वाले डिजाइन और सिंदूरी रंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये दीपक 'वोकल फॉर लोकल' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
इस पहल से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि वे देश के गौरवशाली क्षणों से प्रेरणा लेकर अपने उत्पादों को नया रूप दे रही हैं। इन दीपकों की बिक्री से होने वाली आय से उन्हें आर्थिक संबल भी मिलेगा।
दीपक बनाने वाली रीमा ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि हम लोग हर साल दीये बनाकर बिक्री करते हैं। इस बार वीर सैनिकों के सम्मान में हम लोग इस तरह के दीपक बना रहे हैं। ये दीपक हम उन सैनिकों को भी समर्पित करते हैं जिन्होंने हर परिस्थिति में देश और जम्मू-कश्मीर की रक्षा की है। हमारी सेनाएं हर समय हमारे रक्षक के रूप में तैयार रहती हैं।
लवली ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि हम जो विशेष दीपक तैयार कर रहे हैं, उनका उद्देश्य हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में हमारे सैनिकों के साहस को सम्मान देना है। पाकिस्तान ने हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को निशाना बनाया था। उनकी याद में हम यह दीपक तैयार कर रहे हैं ताकि हर घर में इन्हें जलाकर उनके प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त किया जा सके।
—राष्ट्र प्रेस
एसएके/डीएससी