क्या जन सुराज ने मनाया अपना पहला स्थापना दिवस? प्रशांत किशोर ने कहा- हमारी यात्रा रही ईमानदार

सारांश
Key Takeaways
- जन सुराज पार्टी का पहला स्थापना दिवस मनाया गया।
- प्रशांत किशोर ने अपनी यात्रा को ईमानदार बताया।
- समारोह में कई राजनीतिक नेता और पदाधिकारी उपस्थित थे।
- भविष्य में और बड़े पैमाने पर स्थापना दिवस मनाने की योजना है।
- बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर का प्रभाव बढ़ रहा है।
पटना, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जन सुराज पार्टी ने एक वर्ष के सफल कार्यकाल के उपलक्ष्य में शनिवार को अपना पहला स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर ने कहा कि हमारी यह एक वर्ष की यात्रा चाहे कितनी भी शानदार रही हो, लेकिन यह ईमानदार
प्रशांत किशोर ने जनसमूह को आश्वस्त करते हुए कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि मेरे आचार-विचार से आपको कभी भी जीवन में शर्मिंदगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मेरी मेहनत का उद्देश्य यही है कि भगवान ने जितनी भी बुद्धि और शक्ति मुझे दी है, उसे इस प्रयास में लगाई जाए।
स्थापना दिवस समारोह में राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद और राज्य कोर समिति के सदस्य, सभी जिलों के जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी और संगठन से जुड़े पदाधिकारी उपस्थित रहे। जन सुराज पार्टी का पहला स्थापना दिवस समारोह दो अक्टूबर को आयोजित किया जाना था, किंतु दशहरा के कारण इसे चार अक्टूबर को मनाने का निर्णय लिया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने कहा कि हमारे पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर की एक सोच ने तीन वर्षों में ऐसी व्यवस्था तैयार की है कि आज बिहार ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी लोग जन सुराज पर नज़रें गड़ाए हुए हैं। मुझे आशा है कि भविष्य में हम और बड़े पैमाने पर पार्टी का स्थापना दिवस मनाएंगे। विधानसभा चुनाव एक छोटी लड़ाई है, जिसके बाद हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाएगी।
बिहार प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा कि दो अक्टूबर को महात्मा गांधी के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी की भी जयंती है। अगर हम इन दोनों के जीवन से प्रेरणा लें तो हम हमेशा जन सुराज के रास्ते पर चलते रहेंगे। चुनावी नतीजों की चिंता किए बिना हमेशा जन सुराज के सिद्धांतों पर बने रहें।
वहीं, प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने कहा कि प्रशांत किशोर द्वारा किया गया ईमानदारी का प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए यादगार बनेगा। बिहार की राजनीति हमेशा जाति-धर्म, भ्रष्टाचार, पलायन और जंगलराज के चारों ओर घूमती रही है। लेकिन, प्रशांत किशोर ने आज की राजनीति को बच्चों के भविष्य से जोड़ा है। देश और विदेश के लोग बिहार की ओर आशा से देख रहे हैं। हर किसी की जुबान पर यही है कि प्रशांत किशोर बिहार को बदल देंगे।