क्या जंतर-मंतर पर वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन ने सरकार की नींद उड़ा दी?

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क्या जंतर-मंतर पर वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन ने सरकार की नींद उड़ा दी?

सारांश

नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम समुदाय ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने नए कानून को निरस्त करने और पुराने कानून को बहाल करने की मांग की। क्या इस प्रदर्शन का असर सरकार पर पड़ेगा?

Key Takeaways

  • वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन में मुस्लिम समुदाय की एकजुटता।
  • नए कानून के खिलाफ विरोध और पुराने कानून की बहाली की मांग।
  • सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप।
  • प्रदर्शन से अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा की दिशा में कदम।
  • दिल्ली में आगामी विशाल कार्यक्रम की योजना।

नई दिल्ली, ११ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में शनिवार को जंतर-मंतर पर वक्फ कानून के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस मौके पर नए कानून को निरस्त करने और पूर्व के वक्फ कानून को पुनः लागू करने की मांग जोर-शोर से उठाई गई। प्रदर्शनकारियों ने इसे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक संपत्तियों के लिए खतरा बताया।

प्रदर्शन में शामिल राज्यसभा सदस्य फौजिया खान ने कहा, “मैं अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति अपने समर्थन को व्यक्त करने आई हूं। हमारे पूर्वजों ने अल्लाह के नाम पर वक्फ संपत्तियां दान की थीं। इनका प्रबंधन हमेशा वक्फ बोर्ड के पास रहा है, लेकिन नए कानून के माध्यम से इसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश की जा रही है।”

कृषि कानूनों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जन विरोध से कानून रद्द हो सकते हैं। हम अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य सैयद कासिम रसूल इलियास ने इस अधिनियम को आपत्तिजनक बताया। उन्होंने कहा, “यह कानून हमारी मस्जिदों, इमामबाड़ों और कब्रिस्तानों को छीनने की साजिश है। हमारी मांग है कि इसे तुरंत निरस्त किया जाए और पुराना वक्फ कानून लागू हो।”

उन्होंने कहा कि देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और संगठन ने एक नया रोडमैप तैयार किया है, जिसमें मार्च, सभाएं और ज्ञापन सौंपने की योजना शामिल है। १६ नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल कार्यक्रम भी प्रस्तावित है। नवंबर में दूसरे रोडमैप के पूरा होने के बाद तीसरे चरण की शुरुआत होगी।

वहीं, प्रदर्शन में शामिल एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हमें केवल १०० लोगों की अनुमति दी गई, जबकि सरकार समर्थक कार्यक्रमों को हजारों की अनुमति मिलती है। यह साफ दिखाता है कि दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं। अगर कोई प्रधानमंत्री की प्रशंसा में जलसा करना चाहता है तो उसे बीस हजार लोगों की अनुमति दी जाती। हमें बेहद मायूसी है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की हिफाजत नहीं कर सकेगा। वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए पुराने कानून को बहाल किया जाए और अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों का सम्मान किया जाए।”

उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान का खंडन किया, जिसमें मुस्लिम आबादी में तेज वृद्धि का दावा किया गया है। उन्होंने कहा कि अमित शाह कह रहे हैं कि मुसलमानों की आबादी बढ़ रही है। हर तरह से मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। हकीकत यह है कि मुसलमानों की आबादी में वृद्धि बहुत कम हुई है, लेकिन ये लोग झूठ फैलाकर कहते हैं कि मुसलमानों की आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है।

Point of View

यह प्रदर्शन अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कैसे सरकार के कानून समाज के विभिन्न वर्गों पर प्रभाव डालते हैं। यह जरूरी है कि हम सभी समुदायों के अधिकारों का सम्मान करें और एक समावेशी समाज की दिशा में आगे बढ़ें।
NationPress
11/10/2025

Frequently Asked Questions

वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन क्यों किया गया?
प्रदर्शनकारियों ने नए वक्फ कानून को निरस्त करने और पुराने वक्फ कानून को बहाल करने की मांग की।
इस प्रदर्शन में कौन-कौन शामिल थे?
इस प्रदर्शन में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और विभिन्न राजनीतिक नेता शामिल थे।
प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था।