क्या झारखंड सिविल सेवा परीक्षा में अनियमितता के आरोपों की जांच कराई जाएगी?

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क्या झारखंड सिविल सेवा परीक्षा में अनियमितता के आरोपों की जांच कराई जाएगी?

सारांश

झारखंड सिविल सेवा परीक्षा में अनियमितताओं की शिकायतों पर जेपीएससी के चेयरमैन को राजभवन द्वारा पत्र भेजा गया है। यह पत्र पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की शिकायतों के संदर्भ में है। क्या छात्रों को मिलेगा न्याय? जानिए पूरी कहानी!

Key Takeaways

  • राजभवन ने जेपीएससी को पत्र भेजा है।
  • पूर्व मुख्यमंत्री ने छात्रों की शिकायतें उठाई हैं।
  • निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।
  • अनियमितताएँ छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं।
  • संपूर्ण देश में शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता महत्वपूर्ण है।

रांची, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में सिविल सेवा परीक्षा और उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में अनियमितता के आरोपों को लेकर राजभवन ने जेपीएससी (झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन) के चेयरमैन को एक पत्र प्रेषित किया है।

यह पत्र झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुवर दास द्वारा राज्यपाल को दिए गए ज्ञापन के संदर्भ में भेजा गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने लगभग एक सप्ताह पहले झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात की थी। उन्होंने जेपीएससी द्वारा आयोजित संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा-2023 के अभ्यर्थियों द्वारा की गई अनियमितता की शिकायतों से राज्यपाल को अवगत कराया था।

रघुवर दास ने कहा था कि अभ्यर्थियों की शिकायतें अत्यंत गंभीर हैं। यह उनके भविष्य से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया था कि छात्रों के हित में शिकायतों की निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए।

रघुवर दास ने इस मामले से संबंधित राजभवन द्वारा जेपीएससी को भेजे गए पत्र की प्रति सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की। उन्होंने इस पहल के लिए राज्यपाल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इससे छात्रों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।

छात्रों की शिकायत है कि सिविल सेवा परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का डिजिटल मूल्यांकन किया गया, जबकि इसका कोई प्रावधान नियमावली में नहीं है। मूल्यांकन में थर्ड पार्टी एजेंसी की सेवा ली गई, लेकिन यह थर्ड पार्टी एजेंसी कौन है और इसे यह कार्य किस टेंडर के आधार पर सौंपा गया, इस संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

छात्रों की यह भी शिकायत है कि नियमों के अनुसार उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन विश्वविद्यालयों से संबंधित कॉलेजों में 10 वर्ष से अधिक अनुभव वाले शिक्षकों या 5 वर्ष से अधिक अनुभव वाले पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री धारक शिक्षकों से किया जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें जानकारी मिली है कि केवल 2 वर्ष अनुभव वाले गेस्ट फैकल्टी से उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कराई गई।

Point of View

यह मामला छात्रों के भविष्य से संबंधित है। शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता आवश्यक हैं। यदि अनियमितताएँ हैं, तो उनकी जांच होना चाहिए ताकि छात्रों को न्याय मिल सके। यह मुद्दा केवल झारखंड का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण देश के लिए महत्वपूर्ण है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

झारखंड सिविल सेवा परीक्षा में अनियमितता के क्या आरोप हैं?
छात्रों ने शिकायत की है कि उत्तर पुस्तिकाओं का डिजिटल मूल्यांकन किया गया है, जबकि यह नियमावली में नहीं है।
क्या जेपीएससी की जांच निष्पक्ष होगी?
राजभवन ने जेपीएससी को पत्र भेजा है, जिससे निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जा रही है।
रघुवर दास का इस मामले में क्या कहना है?
उन्होंने शिकायतों को गंभीर बताते हुए राज्यपाल से निष्पक्ष जांच की मांग की है।