क्या झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार को सभी थानों में सीसीटीवी लगाने का आदेश दिया?
सारांश
Key Takeaways
- राज्य के सभी थानों को 5 जनवरी तक सीसीटीवी से लैस करना है।
- अदालत ने देरी को गंभीर चिंता का विषय बताया।
- पुलिस थानों में आधुनिक निगरानी व्यवस्था का होना आवश्यक है।
- सीसीटीवी रिकॉर्ड का उचित रखरखाव न होना चिंताजनक है।
- सरकार ने समय-सीमा में सभी प्रक्रियाएं पूरी करने का आश्वासन दिया है।
रांची, १८ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि राज्य के सभी ३३४ थानों को ५ जनवरी तक पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरों से लैस किया जाए। अदालत ने कहा कि पुलिस थानों में आधुनिक निगरानी व्यवस्था का अभाव न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
हाईकोर्ट ने इस दिशा में किसी भी प्रकार की देरी को गंभीर चिंता का विषय बताया और स्पष्ट किया कि अब कोई भी उदासीनता स्वीकार नहीं की जाएगी। इस मामले में दायर जनहित याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी और आईटी विभाग की सचिव ने सशरीर उपस्थित रहकर जवाब दिया।
अदालत ने आदेश दिया कि ३१ दिसंबर तक सभी थानों में सीसीटीवी लगाने के लिए डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) और टेंडर प्रक्रिया को पूरा किया जाए। इसके बाद जल्द-से-जल्द सभी ३३४ थानों में सीसीटीवी की स्थापना को सुनिश्चित किया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि ५ जनवरी तक इस आदेश का अनुपालन अनिवार्य होगा, अन्यथा इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा।
पश्चिम बंगाल के निवासी शौभिक बनर्जी ने हाईकोर्ट में शिकायत की थी कि वह चेक बाउंस से संबंधित मामले में धनबाद कोर्ट में जमानत लेने आए थे। आरोप है कि इस दौरान धनबाद पुलिस ने उन्हें दो दिनों तक बैंक मोड़ थाना परिसर में अवैध रूप से रखा और कथित रूप से दूसरे पक्ष के पक्ष में दबाव डाला।
याचिकाकर्ता का कहना था कि यह घटनाक्रम थाना परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड होना चाहिए था। हालांकि, जब अदालत ने रिकॉर्ड प्रस्तुत करने को कहा, तब पुलिस ने कहा कि सीसीटीवी का केवल दो दिनों का बैकअप ही उपलब्ध है। अदालत ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि धनबाद जैसे शहर में सीसीटीवी रिकॉर्ड का उचित रखरखाव न होना चिंताजनक और अस्वीकार्य है। राज्य सरकार ने अदालत को आश्वस्त किया कि समय-सीमा के भीतर सभी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी। मामला अब ५ जनवरी को निगरानी के लिए फिर से सूचीबद्ध होगा।