क्या झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन हो गया?

सारांश
Key Takeaways
- शिबू सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति में एक बड़ा क्षति है।
- वे आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ाई के प्रतीक थे।
- उनका राजनीतिक जीवन प्रेरणादायक रहा है।
- वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने।
- उनका जन्म हजारीबाग में हुआ था।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। उनकी तबीयत लंबे समय से खराब चल रही थी और उन्हें किडनी से जुड़ी गंभीर समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
शिबू सोरेन, जिन्हें 'दिशोम गुरु' के नाम से भी जाना जाता था, झारखंड की राजनीति के एक मजबूत स्तंभ रहे हैं। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के बैनर तले आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए कड़ा संघर्ष किया। उनके निधन की खबर मिलते ही राज्यभर में शोक की लहर दौड़ गई।
झारखंड के मुख्यमंत्री और शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर अपने भावुक संदेश में लिखा, "आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं..."
सर गंगा राम अस्पताल की ओर से साझा की गई जानकारी के अनुसार, सुबह 8:56 बजे शिबू सोरेन का निधन हो गया। अस्पताल ने बताया कि लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। वे किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और डेढ़ महीने पहले उन्हें स्ट्रोक भी हुआ था। पिछले एक महीने से वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।
शिबू सोरेन का झारखंड के साथ एक गहरा नाता था। वे तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने और केंद्र में कोयला मंत्री के रूप में भी सेवा दी।
शिबू सोरेन का जन्म बिहार के हजारीबाग में 11 जनवरी 1944 को हुआ था। उन्हें दिशोम गुरु और गुरुजी के नाम से जाना जाता है। उन्होंने आदिवासियों के शोषण के खिलाफ लंबी संघर्ष की थी। 1977 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1980 से वह लगातार कई बार सांसद चुने गए।
बिहार से अलग राज्य 'झारखंड' बनाने के आंदोलन में भी उनकी निर्णायक भूमिका रही है। वे तीन बार (2005, 2008, 2009) झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।