क्या झारखंड के शिक्षण संस्थानों में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर दाखिला कराने वाला नेटवर्क सक्रिय है?
सारांश
Key Takeaways
- झारखंड में फर्जी प्रमाण पत्रों का मामला गंभीर है।
- कम से कम 18 छात्रों का नामांकन रद्द किया गया।
- कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
- विशेष जांच टीमों का गठन किया गया है।
- प्रवेश प्रक्रिया में गिरोह की भूमिका की आशंका।
रांची/धनबाद, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के शिक्षण संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया के दौरान फर्जी प्रमाण पत्रों के उपयोग के कई मामले लगातार उजागर हो रहे हैं। इन घटनाओं के प्रकाश में आने के बाद, कम से कम 18 छात्रों के नामांकन को रद्द कर दिया गया है और उनके अभिभावकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है।
हाल ही में धनबाद जिले के बेनगोरिया स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में वर्ष 2025-26 सत्र के लिए कक्षा 6 में नामांकन के दौरान 16 छात्रों द्वारा कथित तौर पर फर्जी जाति, आय, और आवासीय प्रमाण पत्र जमा करने का मामला सामने आया है। उपायुक्त के निर्देश पर गठित विशेष जांच टीम ने दस्तावेजों की जांच की, जिसमें अनियमितता की पुष्टि के बाद विद्यालय प्रबंधन ने निरसा थाना में संबंधित 16 अभिभावकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। इन अभिभावकों का संबंध टुंडी, पूर्वी टुंडी, गोविंदपुर, बलियापुर और धनबाद अंचल क्षेत्रों से है।
इसके अलावा, रांची में राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में दो दिन पहले एक बड़ा मामला उजागर हुआ। एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा काजल का अनुसूचित जाति (एससी) प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने पर उसका नामांकन रद्द कर दिया गया। पहले उसे 20 नवंबर को निलंबित किया गया था। प्रमाण पत्र की सत्यापन प्रक्रिया के बाद गिरिडीह उपायुक्त से आधिकारिक पुष्टि मिलने पर रिम्स प्रशासन ने छात्रा को तीन बार नोटिस जारी किया, लेकिन उसके कोई जवाब न आने पर कार्रवाई की गई।
जांच रिपोर्ट में गंभीर गड़बड़ी का उल्लेख है, जिससे प्रवेश प्रक्रिया में सक्रिय किसी गिरोह की भूमिका की आशंका व्यक्त की जा रही है। इसी प्रकार धनबाद स्थित शहीद निर्मल महतो चिकित्सा महाविद्यालय (एसएनएमएमसीएच) में भी एक छात्रा द्वारा कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से नामांकन लेने का मामला प्रकाश में आया।
कॉलेज प्रशासन का कहना है कि सुचरिता दत्ता द्वारा जमा किए गए जाति एवं आवासीय प्रमाणपत्र संदिग्ध पाए गए। सत्यापन के लिए विशेष प्रतिनिधि के माध्यम से गोड्डा जिला प्रशासन को दस्तावेज भेजे गए, जहाँ प्रारंभिक जांच में कागजात सही नहीं पाए गए।