क्या झारखंड की लुगूबुरु पहाड़ी पर अंतरराष्ट्रीय संथाल आदिवासी धर्म महासम्मेलन में आस्था का सैलाब उमड़ा?

Click to start listening
क्या झारखंड की लुगूबुरु पहाड़ी पर अंतरराष्ट्रीय संथाल आदिवासी धर्म महासम्मेलन में आस्था का सैलाब उमड़ा?

सारांश

झारखंड के बोकारो में लुगूबुरु पहाड़ी पर आयोजित 25वें अंतरराष्ट्रीय संथाल आदिवासी धार्मिक सम्मेलन में लाखों श्रद्धालुओं की सहभागिता ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। इस महोत्सव में सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा की महत्ता को उजागर किया गया।

Key Takeaways

  • लुगूबुरु पहाड़ी पर हजारों श्रद्धालुओं की भागीदारी
  • 25वें अंतरराष्ट्रीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन
  • मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का संबोधन
  • संथाल संस्कृति और परंपरा का संरक्षण
  • पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूकता

बोकारो, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के बोकारो जिले की लुगूबुरू पहाड़ी और उसकी तराई में संथाल सरना आदिवासियों के 25वें अंतरराष्ट्रीय धार्मिक सम्मेलन में बुधवार को आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। 3 नवंबर से आरंभ हुए इस सम्मेलन और उत्सव में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ नेपाल और भूटान से तीन लाख से अधिक सरना आदिवासियों ने भाग लिया।

सम्मेलन के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा के प्रति अटूट आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है।

उन्होंने आगे कहा, ''हमारी परंपराएं हमें अपनी जड़ों से जोड़ती हैं। जितनी गहराई से हम इन्हें समझेंगे, उतना ही बेहतर समाज का निर्माण कर सकेंगे।”

यह पहाड़ी संथाल सरना आदिवासियों के लिए सबसे बड़ा धार्मिक तीर्थस्थल है और इसे लुगूबुरु घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ के नाम से भी जाना जाता है। मुख्यमंत्री ने यहां अपनी धर्मपत्नी और विधायक कल्पना सोरेन के साथ पारंपरिक विधि-विधान से संथालियों के आदि पुरुष लुगू बाबा की पूजा-अर्चना की और राज्यवासियों की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।

सोरेन ने कहा कि लुगूबुरु संथाल समाज का वह पवित्र स्थल है, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से दर्शन के लिए आते हैं। सरकार इस तीर्थस्थल की व्यवस्थाओं को लगातार बेहतर बनाने में जुटी है ताकि श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक सुविधा मिल सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लुगूबुरु जल्द ही विश्व के धार्मिक मानचित्र पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाएगा। हमारे पूर्वजों ने सामाजिक व्यवस्था को व्यवस्थित करने की जो नींव रखी थी, हम उसका अनुसरण करते आ रहे हैं। अबुआ समाज, संस्कृति, परंपरा और रीति-रिवाज को संरक्षित और समृद्ध करने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सभी से आगे आने की अपील की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी का लुगूबुरु से गहरा लगाव था। उनकी याद में यहां टेराकोटा शैली में निर्मित प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने आयोजन समिति को शिबू सोरेन की प्रतिमूर्ति सौंपी। उन्होंने कहा कि धर्म हमें सामाजिक एकता और मजबूती प्रदान करता है। देश में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं, फिर भी सभी एक-दूसरे की परंपराओं का सम्मान करते हैं। यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

इस अवसर पर मंत्री चमरा लिंडा, मंत्री योगेंद्र प्रसाद महतो, विधायक उमाकांत रजक, आईजी (कोयला प्रक्षेत्र) सुनील भास्कर, क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक आर. टी. पंडियान, टीटीपीएस महाप्रबंधक अनिल कुमार शर्मा, उपायुक्त अजय नाथ झा, पुलिस अधीक्षक हरविंदर सिंह, आयोजन समिति के अध्यक्ष बबुली सोरेन, सचिव लोबिन मुर्मू समेत हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।

Point of View

बल्कि यह आदिवासी संस्कृति और परंपरा के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार और समुदाय दोनों मिलकर इसे और बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
NationPress
05/11/2025

Frequently Asked Questions

लुगूबुरु पहाड़ी का धार्मिक महत्व क्या है?
लुगूबुरु पहाड़ी संथाल सरना आदिवासियों के लिए एक प्रमुख धार्मिक तीर्थस्थल है, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं।
इस सम्मेलन में कितने लोग शामिल हुए?
इस सम्मेलन में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ नेपाल और भूटान से तीन लाख से अधिक सरना आदिवासियों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर क्या कहा?
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह महोत्सव संस्कृति और परंपरा के प्रति हमारी आस्था का प्रतीक है और सरकार इस तीर्थस्थल की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
क्या इस सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण पर चर्चा हुई?
हाँ, मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सभी से आगे आने की अपील की।
इस सम्मेलन का आयोजन कब हुआ?
यह सम्मेलन 3 नवंबर से शुरू हुआ था और 5 नवंबर को समाप्त हुआ।