क्या झारखंड में छठ महापर्व की धूम ने श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया?
सारांश
Key Takeaways
- छठ महापर्व लोक आस्था का प्रतीक है।
- उदित और अस्त होते सूर्य की पूजा की जाती है।
- यह पर्व परिवार की सुख-समृद्धि की कामना का संदेश देता है।
- सुरक्षा के व्यापक इंतजाम इस पर्व को सुरक्षित बनाते हैं।
- परंपरागत गीतों और सजावट के साथ पर्व का आनंद लिया जाता है।
रांची, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। लोक आस्था का महापर्व छठ की धूम रविवार को झारखंड के हर कोने में देखने को मिली। सभी जिलों में छठव्रती परिवार पारंपरिक रीति-रिवाज से व्रत और पूजा-अर्चना में लीन नजर आए। शाम होते ही अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए लाखों श्रद्धालु घाटों की ओर बढ़े। नदियों से लेकर जलाशयों तक आस्था का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। राजमहल और साहिबगंज में गंगा तटों पर व्रतियों की भीड़ उमड़ पड़ी।
बोकारो और रामगढ़ के दामोदर तटों, रांची और जमशेदपुर के स्वर्ण रेखा नदी किनारे, पलामू के सोन नदी, कोडरमा के तिलैया डैम, चतरा की मोहाने नदी, दुमका के मसानजोर डैम, और हजारीबाग की झील व छड़वा डैम पर छठव्रती परंपरागत गीतों के साथ संध्या अर्घ्य अर्पित कर रहे थे। राजधानी रांची में धुर्वा, कांके और रुक्का डैम के साथ-साथ बड़ा तालाब और हटनिया तालाब पर विशेष सजावट की गई थी।
नगर निगम और आपदा प्रबंधन विभाग ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। महिला और पुरुष गोताखोरों की टीमें घाटों पर तैनात थीं। सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ इस चार दिवसीय व्रत का समापन होगा। छठव्रती सुबह की बेला में भगवान भास्कर और छठी मैया की आराधना कर परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करेंगे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संदेश में कहा, "लोक आस्था और सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा की सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। छठ का हर अनुष्ठान हमें सिखाता है कि जीवन में उगते सूर्य के प्रति कृतज्ञता और अस्त होते प्रकाश के प्रति धैर्य सच्ची साधना का मार्ग है। जय छठी मैया! जय भगवान भास्कर!"
राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, "भगवान भास्कर और छठी मैया की कृपा सभी छठव्रतियों पर बनी रहे। सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का प्रकाश हमेशा बना रहे।"