क्या झारखंड में ‘108 एंबुलेंस सर्विस’ के चालक और कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर हैं?

सारांश
Key Takeaways
- 108 एंबुलेंस सेवा के चालक और कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
- सरकारी सुविधाओं की कमी से कर्मचारी परेशान हैं।
- राज्य स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है।
रांची, 29 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा से जुड़े चालक और कर्मचारी अपनी लंबित मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इससे राज्यभर में आपातकालीन एंबुलेंस सेवा प्रभावित हो गई है। रांची सहित राज्य के कई जिलों में बड़ी संख्या में एंबुलेंस कर्मी जुटे और तख्तियां लेकर प्रदर्शन करते हुए धरने पर बैठे हैं।
हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन करने वाली निजी संस्था ‘समाधान फाउंडेशन’ उन्हें 12 घंटे से अधिक ड्यूटी पर लगाती है, लेकिन न तो उचित वेतन देती है और न ही किसी प्रकार की सरकारी सुविधा मुहैया कराई जाती है। कर्मचारियों को ईपीएफ, मेडिकल सुविधा, बीमा और साप्ताहिक अवकाश तक नहीं मिलता।
कई कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया है कि वेतन कटौती के साथ-साथ संस्था के पदाधिकारियों द्वारा ड्यूटी के दौरान दुर्व्यवहार की बातें भी आम हो चुकी हैं। आंदोलित एंबुलेंस कर्मी श्रम विभाग की ओर से तय वेतनमान लागू करने, सेवा अवधि 60 वर्ष करने, पूर्व में की गई वेतन कटौती का भुगतान करने, और सेवा प्रदाता कंपनी के बजाय सीधे एनएचएम से भुगतान सुनिश्चित कराने की मांग कर रहे हैं।
इस बीच, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हड़ताल को लेकर राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि समय पर वेतन न मिलने से एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर हैं और इसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है, लेकिन सरकार पूरी तरह संवेदनहीन बनी हुई है।
मरांडी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि यह पहली बार नहीं है जब एंबुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं। पूर्व में भी आंदोलन हुआ था और त्रिपक्षीय समझौता किया गया था, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल किया, “इन मांगों में ऐसा क्या है जिसे माना नहीं जा सकता? क्या अब सरकारी सेवाओं से जुड़े कर्मियों को भी अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़ेगा?”
उन्होंने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को जर्जर बताते हुए कहा कि "राज्य की जंग खाई एंबुलेंस की तरह शायद पूरा स्वास्थ्य विभाग भी जंग खा चुका है। मंत्री जी को यह समझना होगा कि अनर्गल बयानबाजी से न व्यवस्था सुधरेगी, न मरीजों का स्वास्थ्य।”