क्या झारखंड इस वर्ष 24 नक्सलियों को समाप्त कर मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त हो सकेगा?

सारांश
Key Takeaways
- झारखंड में 24 नक्सलियों का सफाया किया गया है।
- मार्च 2026 तक राज्य को नक्सल मुक्त करना लक्ष्य है।
- पुलिस और सुरक्षा बलों की सक्रियता जारी है।
- नक्सलवाद के खिलाफ अभियान में ग्रामीण विकास की दिशा में काम किया जा रहा है।
- राज्य में 100 से 150 माओवादी सक्रिय हैं।
रांची, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड सरकार ने मार्च 2026 तक राज्य को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में चल रहे अभियान में पुलिस और सुरक्षा बलों ने इस वर्ष जनवरी से अब तक कुल 24 नक्सलियों को ढेर कर दिया है।
हालिया कार्रवाई रविवार को पश्चिमी सिंहभूम जिले के गोइलकेरा थाना क्षेत्र में बुर्जुवा पहाड़ी पर हुई, जहां पुलिस और सुरक्षा बलों ने दस लाख के इनामी नक्सली अमित हांसदा उर्फ अपटन को मार गिराया।
बोकारो जिले के ढोडी गांव का निवासी अमित 60 से अधिक नक्सली घटनाओं में वांटेड था। पुलिस ने इस साल मार्च में उसके घर पर इश्तेहार चस्पा कर उसे सरेंडर करने की चेतावनी दी थी। लेकिन, उसने हथियार डालने के बजाय संगठन की गतिविधियों को और तेज कर दिया था। वह कम से कम बीस बार मुठभेड़ों से बच निकला था।
झारखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में हर महीने औसतन तीन नक्सली मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं। पुलिस का अनुमान है कि वर्तमान में राज्य में 100 से 150 माओवादी सक्रिय हैं। फिलहाल, 58 नक्सलियों की इनामी सूची में है, जिन पर कुल 5 करोड़ 46 लाख रुपए का इनाम घोषित है।
झारखंड पुलिस की मोस्ट वांटेड सूची में भाकपा माओवादी के 13 बड़े नक्सली हैं, जिनमें मिसिर बेसरा, पतिराम मांझी और असीम मंडल पर एक-एक करोड़ का इनाम है। इनके अलावा अनमोल, मोछु, अजय महतो, सागेन अंगरिया, अश्विन, पिंटू लोहरा, चंदन लोहरा, जयकांत और रापा मुंडा भी सूची में हैं।
इस वर्ष नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ी मुठभेड़ 21 अप्रैल को हुई थी, जब बोकारो जिले के लुगु पहाड़ पर एक करोड़ के इनामी प्रयाग मांझी उर्फ विवेक सहित आठ माओवादी मारे गए थे।
इसके बाद 16 जुलाई को पुलिस ने बोकारो में 25 लाखकुंवर मांझी समेत दो नक्सलियों को मार गिराया। 5 अगस्त को गुमला में पीएलएफआई संगठन के कमांडर और 15 लाखमार्टिन केरकेट्टा को सुरक्षाबलों ने ढेर किया। 24 मई को लातेहार में हुई मुठभेड़ में जेजेएमपी सुप्रीमो और दस लाखपप्पू लोहरा तथा पांच लाखप्रभात गंझू मारे गए।
डीजीपी अनुराग गुप्ता का दावा है कि झारखंड से 95 प्रतिशत नक्सलवाद का सफाया हो चुका है और बचे हुए उग्रवादियों की तलाश तेज की गई है। पहले बारिश में अभियान रोक दिए जाते थे, लेकिन इस बार कार्रवाई निरंतर जारी रही। सुरक्षा बलों की लगातार मौजूदगी और ग्रामीण इलाकों तक विकास योजनाओं की पहुंच ने नक्सलियों के आधार को कमजोर कर दिया है।
आंकड़े बताते हैं कि झारखंड के गठन के बाद से अब तक 823 नक्सली सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ों में मारे गए हैं। इस दौरान 554 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं। नक्सल हिंसा का सबसे बड़ा खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ा है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 836 ग्रामीणों की हत्या नक्सलियों ने की है। झारखंड पुलिस सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि आने वाले आठ महीनों में नक्सलियों का पूरी तरह सफाया कर दिया जाएगा और 2026 तक झारखंड को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया जाएगा।