क्या झारखंड में पेसा कानून का लागू होना हमारी जीत है?: झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे

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क्या झारखंड में पेसा कानून का लागू होना हमारी जीत है?: झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे

सारांश

झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने पेसा कानून के लागू होने को एक महत्वपूर्ण जीत बताया है। उन्होंने आदिवासी समुदाय के हित में उठाए गए इस कदम की सराहना की और इसे विकास के लिए एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा।

Key Takeaways

  • पेसा कानून का लागू होना आदिवासियों के लिए महत्वपूर्ण है।
  • स्थानीय संसाधनों पर ग्राम सभा का नियंत्रण होगा।
  • आदिवासी समुदाय का विकास संभव हो सकेगा।
  • मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धन्यवाद दिया गया है।
  • यह कदम स्थानीय शासन को सशक्त बनाता है।

रांची, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने पंचायत एक्सटेंशन टू शेडयूल्ड एरियास (पेसा) कानून के लागू होने को अपनी जीत बताया। उन्होंने कहा कि हम हमेशा से ही आदिवासियों के हितों को लेकर मुखर रहे हैं। इस संबंध में हम कई बार सड़कों पर भी उतरे और मांग की कि पेसा कानून बनाया जाए।

मनोज पांडे ने बुधवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि आखिरकार आज सरकार को पेसा कानून बनाने की दिशा में निर्णय लेना पड़ा। यह हमारे लिए किसी जीत से कम नहीं है। हम हमेशा से ही इस बात की मांग करते आए थे कि अगर हम सही मायने में आदिवासी समुदाय के लोगों का हित चाहते हैं, तो इसके लिए हमें पेसा कानून का अमलीजामा पहनाना होगा।

झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि हम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धन्यवाद देना चाहेंगे कि उन्होंने पेसा कानून को लागू किया। ऐसा करके उन्होंने आदिवासी समुदाय के हित में बड़ा कदम उठाया है, जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। अब पेसा कानून के लागू होने के बाद धरातल पर आदिवासियों के विरुद्ध अपराध नहीं दिखेगा। साथ ही बुनियादी विकास भी तेजी से देखने को मिलेगा। इससे प्रदेश का समग्र विकास संभव हो सकेगा। इसके लिए मैं प्रदेश के सीएम हेमंत सोरेन का दिल से धन्यवाद करना चाहूंगा।

दरअसल, पेसा कानून के तहत एक एकड़ से कम वाले जल क्षेत्र पर ग्राम सभा का नियंत्रण होगा। इस क्षेत्र से निकली मछली के उपयोग का अधिकार ग्राम सभा को होगा। घरों में चोरी, मवेशी चोरी और सामान्य अपराधों की सुनवाई का अधिकार भी ग्राम सभा को होगा। शराब की दुकान खोलने की अनुमति ग्राम सभा से लेनी होगी। इसके अलावा आदिवासियों के हित में कई प्रावधान किए गए हैं।

वहीं, रॉबर्ट वाड्रा और कांग्रेस सांसद इमरान मसूद की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा को प्रधानमंत्री पद के योग्य बताए जाने पर प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा से लेकर राहुल गांधी दोनों में ही प्रधानमंत्री बनने की क्षमता है। दोनों ही नेताओं में वह योग्यता है, जो किसी प्रधानमंत्री में होती है, लेकिन अब कौन प्रधानमंत्री होगा, यह कांग्रेस का आंतरिक मुद्दा है। इस पर कांग्रेस ही कोई फैसला लेगी तो ज्यादा उचित रहेगा।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के विदेश दौरे पर सवाल उठाए जाने पर भी मनोज कुमार पांडे ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे पर कोई सवाल नहीं उठाया जाता है, तो ऐसी स्थिति में मैं समझता हूं कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के विदेश दौरे पर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं बनता।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, और वे भी किसी भी विदेश दौरे पर जा सकते हैं। उनको पूरा अधिकार है। विदेश में कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से जाते हैं। ऐसी स्थिति में उनके विदेश दौरे पर कोई भी सवाल उठाना अनुचित है।

मनोज पांडे ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि नितिन गडकरी के लिए बेहतर रहेगा कि वे कोई बयान न दें। हमारे संविधान निर्माताओं ने धर्मनिरपेक्षता की अच्छी व्याख्या संविधान में की है। ऐसी स्थिति में नितिन गडकरी की ओर से इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना उचित नहीं है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता ने कहा कि शायद उन्हें याद होगा कि भाजपा अयोध्या में बुरी तरह से हार गई थी। ऐसी स्थिति में गिरिराज क्या कहना चाहते हैं? उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। क्या वह यह कहना चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल में भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाएगा? शायद बहुत मुमकिन है कि गिरिराज सिंह यही बयान देना चाहते हैं। उन्हें जल्द से जल्द इस संबंध में पूरी तस्वीर साफ करनी चाहिए।

प्रवक्ता मनोज कुमार पांडे ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले की निंदा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इस संबंध में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि बांग्लादेश की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार का क्या रुख है। इस संबंध में केंद्र सरकार को यथाशीघ्र ठोस कदम उठाना चाहिए।

Point of View

इसे सफल बनाने के लिए निरंतर प्रयास और निगरानी की आवश्यकता होगी। यह कदम समग्र विकास की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

पेसा कानून क्या है?
पेसा कानून, यानी पंचायत एक्सटेंशन टू शेडयूल्ड एरियास, आदिवासी समुदायों को स्थानीय संसाधनों पर अधिकार और स्वशासन का अधिकार देता है।
पेसा कानून का लाभ किसे मिलेगा?
इस कानून का मुख्य लाभ आदिवासी समुदायों को मिलेगा, जिन्हें स्थानीय संसाधनों पर अधिक नियंत्रण और अधिकार मिलेंगे।
क्या पेसा कानून का लागू होना विकास में मदद करेगा?
हां, पेसा कानून के लागू होने से स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलेगा और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा होगी।
यह कानून कब से लागू हुआ है?
यह कानून हाल ही में झारखंड में लागू हुआ है, जिससे आदिवासी समुदाय के अधिकारों को मान्यता मिली है।
पेसा कानून के तहत ग्राम सभा की भूमिका क्या है?
पेसा कानून के तहत ग्राम सभा को स्थानीय संसाधनों पर नियंत्रण और निर्णय लेने का अधिकार मिलता है।
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