क्या झारखंड में राज्य सूचना आयोग का कामकाज ठप है?

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क्या झारखंड में राज्य सूचना आयोग का कामकाज ठप है?

सारांश

झारखंड में राज्य सूचना आयोग का कार्य पिछले पांच साल से ठप है, जिससे 25,000 से अधिक मामले लंबित हैं। आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इसकी गंभीरता पर चिंता व्यक्त की है। क्या सरकार इस दिशा में कोई कदम उठाएगी?

Key Takeaways

  • राज्य सूचना आयोग पिछले पांच वर्षों से ठप है।
  • 25,000 से अधिक मामले लंबित हैं।
  • आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सरकार से त्वरित कदम उठाने की मांग की।
  • मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के पद रिक्त हैं।
  • प्रशासनिक तंत्र में सूचना का अधिकार की प्रभावशीलता पर प्रश्न उठते हैं।

रांची, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में राज्य सूचना आयोग का कार्य पिछले पांच वर्षों से पूरी तरह से ठप है। आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के सभी पद रिक्त पड़े हैं। 'सूचना का अधिकार' कानून के अंतर्गत 25,000 से अधिक अपील और शिकायतों के मामले आयोग के समक्ष लंबित हैं।

राजधानी रांची में रविवार को राज्यभर के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति और राज्य सरकार से इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की मांग की। सूचना का अधिकार अधिनियम के 20 वर्ष पूरे होने पर रांची प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में राज्य के पूर्व सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

उन्होंने बताया कि सूचना का अधिकार प्रशासनिक तंत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का एक प्रभावी साधन है। यह आवश्यक है कि इस अधिकार के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाई जाए। उन्होंने यह भी बताया कि इसका दुरुपयोग किसी को व्यक्तिगत रूप से लक्षित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

आरटीआई कार्यकर्ता और रिसोर्स पर्सन दीपेश निराला ने कहा कि झारखंड में 8 मई 2020 के बाद से राज्य सूचना आयोग में न तो मुख्य सूचना आयुक्त हैं और न ही कोई अन्य आयुक्त। इसके परिणामस्वरूप, जिन मूल भावनाओं के साथ आरटीआई का अधिनियम लागू हुआ, उनका राज्य में क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। सूचनाओं को रोकने और दबाने की प्रशासनिक तंत्र की योजनाओं पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है।

उन्होंने कहा कि झारखंड में पहले सूचना अधिकार आवेदनों के माध्यम से कई भ्रष्टाचार और प्रशासनिक गड़बड़ियों के मामले उजागर हुए थे। अब स्थिति यह है कि विभिन्न विभागों के जन सूचना पदाधिकारी पूरी सूचना नहीं दे रहे हैं और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी भी सूचना उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। द्वितीय अपील और शिकायत वाद के दरवाजे राज्य में बंद हैं।

कार्यक्रम के दौरान प्रस्ताव पारित किया गया कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की मांग को लेकर आरटीआई कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री और राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष से मिलेगा और उन्हें इस संबंध में ज्ञापन सौंपेगा। यह भी मांग की जाएगी कि इन पदों पर नियुक्ति में पूर्व प्रशासनिक पदाधिकारियों को दूर रखा जाए, क्योंकि उनके अधीनस्थ और उनके साथ कार्यरत लोग ही विभिन्न विभागों में जन सूचना पदाधिकारी और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी बने हुए हैं। कार्यक्रम में राज्य के 24 में से 19 जिलों से आए सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इनमें विनोद जैन बेगवानी, रेणुका तिवारी, हरीश नागपाल, राजकुमार, उमा शंकर सिंह, संतोष मृदुला, स्वरूप कुमार सेठी, शाहिद आलम, सुशील शर्मा, राजकुमार उपाध्याय, पवन कुमार केसरी और अन्य लोग प्रमुख रहे।

Point of View

जो पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करता है। हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार जल्द ही इस दिशा में कदम उठाएगी।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

राज्य सूचना आयोग कब से ठप है?
राज्य सूचना आयोग पिछले पांच वर्षों से ठप पड़ा है।
राज्य सूचना आयोग में कितने मामले लंबित हैं?
राज्य सूचना आयोग के समक्ष 25,000 से अधिक मामले लंबित हैं।
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने क्या मांगा?
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति की मांग की।