क्या झारखंड में ‘टाइगर ग्रुप’ का सरगना उत्तम यादव पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो गया?

सारांश
Key Takeaways
- उत्तम यादव का अंत झारखंड पुलिस की साहसिकता के कारण हुआ।
- वह टाइगर ग्रुप का सरगना था, जिसके खिलाफ कई मामले दर्ज थे।
- यह मुठभेड़ पुलिस और अपराधियों के बीच एक महत्वपूर्ण संघर्ष को दर्शाती है।
- इस घटना ने कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में पुलिस की भूमिका को उजागर किया।
- समाज में सुरक्षा के लिए नागरिकों की जागरूकता भी आवश्यक है।
चतरा, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड-बिहार सीमा पर सक्रिय ‘टाइगर ग्रुप’ नामक आपराधिक गिरोह का सरगना उत्तम यादव को शनिवार की रात चतरा जिले में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में समाप्त कर दिया गया।
चतरा के पुलिस अधीक्षक ने उत्तम की मृत्यु की पुष्टि की है। उस पर बिहार सरकार ने 50 हजार रुपये का इनाम रखा था। यह मुठभेड़ झारखंड के चतरा जिले के सिमरिया थाना क्षेत्र के जबड़ा इलाके में हुई।
उत्तम यादव ने तीन महीने पहले हजारीबाग में एक ज्वेलर्स की दुकान पर दिनदहाड़े गोलीबारी की जिम्मेदारी ली थी। पुलिस को उत्तम यादव के सिमरिया क्षेत्र में मौजूद होने की सूचना मिली थी। जब हजारीबाग और चतरा जिले की पुलिस की संयुक्त टीम उसकी तलाश में पहुंची, तो उसने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की और मुठभेड़ के दौरान उत्तम को छाती, पेट और जांघ में गोली लगी, जिससे वह वहीं गिर पड़ा।
उत्तम का शव बाद में पोस्टमार्टम के लिए चतरा सदर अस्पताल भेजा गया। चिकित्सकों ने बताया कि पोस्टमार्टम देर रात दंडाधिकारी की उपस्थिति में किया जाएगा, जिसके लिए प्रशासनिक अनुमति मांगी गई है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उत्तम यादव के खिलाफ हत्या, लूट, फिरौती, रंगदारी और फायरिंग जैसे गंभीर आरोपों के दर्जनों मामले झारखंड और बिहार के विभिन्न थानों में दर्ज हैं। वह लंबे समय से पुलिस के लिए एक चुनौती बना हुआ था।
उत्तम यादव चतरा जिले का निवासी था और पूर्व में एक बार आपराधिक मामले में जेल भी गया था। लगभग दो महीने पहले उसने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने हाथ में एके-47 लेकर चतरा और हजारीबाग के व्यवसायियों को लेवी न देने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।
22 जून को हजारीबाग सदर थाना क्षेत्र में श्री ज्वेलर्स पर गोलीकांड की जिम्मेदारी भी उसने ली थी और उसी दिन उसने कार्बाइन के साथ एक और धमकी भरा वीडियो जारी किया, जिससे पुलिस को खुली चुनौती दी। इस घटना के बाद, हजारीबाग पुलिस ने 3 जुलाई को उसके गिरोह के नौ गुर्गों को गिरफ्तार किया था।