क्या झारखंड में सरकारी कामकाज पूरी तरह डिजिटल होगा, 2026 से पहले ई-ऑफिस सिस्टम लागू करने का लक्ष्य?

सारांश
Key Takeaways
- झारखंड सरकार ने सभी विभागों को डिजिटल बनाने का निर्णय लिया है।
- ई-ऑफिस सिस्टम की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
- फाइलों की सुरक्षा और पारदर्शिता में वृद्धि होगी।
- भ्रष्टाचार की गुंजाइश समाप्त होगी।
- इससे पर्यावरण को भी लाभ पहुंचेगा।
रांची, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड सरकार ने अगले छह महीनों के भीतर सभी विभागों और कार्यालयों को पेपरलेस और पूरी तरह डिजिटल बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। राज्य सरकार का आईटी विभाग इसके लिए ‘ई-ऑफिस सिस्टम’ के एक्शन प्लान को क्रियान्वित करने में जुटा है।
राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने सोमवार को सभी विभागों के प्रमुखों के साथ इस योजना पर गहन विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि जनवरी 2026 से पहले यह परियोजना पूरी तरह लागू की जानी है।
मुख्य सचिव ने रेलटेल, एनआईसी और जैपआईटी के तकनीकी विशेषज्ञों को निर्देश दिया कि वे स्पष्ट टाइमलाइन बनाकर कार्यान्वयन की प्रक्रिया को तेज करें। उन्होंने कहा कि सरकारी फाइलें अत्यंत संवेदनशील होती हैं, इसलिए यह सुनिश्चित किया जाए कि डिजिटल सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित रहे और किसी भी प्रकार के साइबर फ्रॉड से बचा जा सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि पहले सभी पुरानी फाइलों को स्कैन कर पीडीएफ में अपलोड किया जाए ताकि डिजिटल निर्णय लेने के लिए फिजिकल फाइलों पर निर्भर न रहना पड़े। उन्होंने कहा कि सिस्टम ऐसा होना चाहिए, जिससे अधिकारी कार्यालय के बाहर रहकर भी आसानी से ई-ऑफिस के माध्यम से फाइलों पर काम कर सकें और निर्णय लेने में अनावश्यक देरी न हो।
बैठक में बताया गया कि वर्तमान में राज्य सरकार के चार विभाग, कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग, वित्त विभाग, आईटी एवं ई-गवर्नेंस विभाग और उच्च शिक्षा विभाग, में ई-ऑफिस सिस्टम की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अन्य विभागों में भी इस व्यवस्था को लागू करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं और अधिकारियों के ईमेल अकाउंट ई-ऑफिस सिस्टम से जोड़े जा रहे हैं।
मुख्य सचिव ने बाकी बचे विभागों को भी जल्द प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। इस सिस्टम के लागू होने से एक क्लिक पर फाइलें उपलब्ध होंगी, फिजिकल रखरखाव की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और फाइलें सुरक्षित रहेंगी। बार-बार फोटोकॉपी कराने की आवश्यकता नहीं होगी और आग, बाढ़ या फंगस जैसे खतरों से फाइलों को सुरक्षित रखा जा सकेगा। निर्णय लेने में तेजी आएगी, पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार की गुंजाइश समाप्त होगी। विभागों की कार्यकुशलता बढ़ेगी और पेपरलेस होने से पर्यावरण को भी लाभ पहुंचेगा।