क्या झारखंड शराब घोटाले की जांच में ईडी ने एंट्री की?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने झारखंड शराब घोटाले की जांच शुरू की है।
- एसीबी द्वारा दर्ज एफआईआर को ईडी ने टेकओवर किया।
- अदालत ने आरोपियों से पूछताछ की अनुमति दी है।
- झारखंड में कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
- आर्थिक नुकसान की राशि 129.55 करोड़ रुपये है।
रांची, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में चर्चित शराब घोटाले की जांच अब केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने औपचारिक रूप से आरंभ कर दी है।
झारखंड सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर को ईडी ने अपने नियंत्रण में लेते हुए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत ईसीआईआर (इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट) संख्या 10/2025 दर्ज की है।
ईडी ने रांची स्थित पीएमएलए की विशेष अदालत में आवेदन देकर इस मामले में एसीबी द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ करने और उनके बयान दर्ज करने की अनुमति मांगी, जिसे अदालत ने स्वीकृति दे दी है।
गौरतलब है कि एसीबी ने प्रारंभिक जांच के बाद इसी वर्ष मई में शराब घोटाले की प्राथमिकी दर्ज की थी। इस मामले में कई वरिष्ठ अधिकारियों सहित 12 से अधिक लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था। इसके बाद एसीबी ने आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे, सेवानिवृत्त आईएएस अमित प्रकाश, झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गजेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और प्रिज्म होलोग्राफी कंपनी के निदेशक विधु गुप्ता सहित कई अन्य को गिरफ्तार किया।
हालांकि, समय पर आरोप पत्र दाखिल न होने के कारण ये सभी आरोपी अदालत से जमानत प्राप्त कर चुके थे। इस मामले में अब तक कुल चार आईएएस से पूछताछ भी हो चुकी है। राज्य सरकार ने शराब दुकानों के संचालन और मानव संसाधन आपूर्ति का ठेका सात अलग-अलग प्लेसमेंट कंपनियों को दिया था।
एसीबी की जांच में सामने आया कि इन कंपनियों ने निविदा की शर्तों का गंभीर उल्लंघन किया और सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया। टेंडर प्रक्रिया के दौरान जमा कराई गई बैंक गारंटी फर्जी पाई गई। झारखंड स्टेट बेवरेजेज कारपोरेशन लिमिटेड की आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि फर्जीवाड़े के माध्यम से सरकार को 129.55 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अब इस मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री से नए खुलासे होने की संभावना है।