क्या झारखंड के वन भूमि घोटाले में एसीबी ने कारोबारी विनय सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की?

सारांश
Key Takeaways
- एसीबी ने विनय कुमार सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की।
- उन पर वन भूमि का अवैध उपयोग करने का आरोप है।
- जांच में डीम्ड फॉरेस्ट की श्रेणी में भूमि का उल्लेख है।
- सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन हुआ।
- आगे की कार्रवाई दस्तावेजों के विश्लेषण के बाद की जाएगी।
रांची, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने हजारीबाग जिले में वन भूमि घोटाले के संदर्भ में चर्चित ऑटोमोबाइल कारोबारी विनय कुमार सिंह के रांची स्थित आवास और कार्यालय के साथ-साथ उनके छह ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। एसीबी ने 25 सितंबर की शाम को विनय सिंह को गिरफ्तार किया था।
आरोप है कि उन्होंने जेल में बंद आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर 2013 में अधिसूचित वन भूमि पर अवैध जमाबंदी कराई। इसके बाद हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल के तत्कालीन डीएफओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अधिसूचित वन भूमि पर किसी भी प्रकार की गैर-वानिकी गतिविधि या अतिक्रमण भारतीय वन अधिनियम, 1927 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 का उल्लंघन है।
इस पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के 1996 में दिए गए आदेश का भी उल्लेख किया गया था, जिसमें कहा गया था कि जंगल-झाड़ी किस्म की भूमि का गैर-वानिकी उपयोग भारत सरकार की अनुमति के बिना संभव नहीं है। इसके बाद इस जमाबंदी को अवैध मानते हुए रद्द कर दिया गया।
इस मामले में इसी वर्ष एसीबी ने जांच शुरू की। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि गैर मजरुआ खास किस्म जंगल की भूमि, जिसे डीम्ड फॉरेस्ट की श्रेणी में रखा गया है, को अवैध रूप से विनय सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के नाम पर दाखिल-खारिज किया गया।
यह प्रक्रिया उस समय पूरी की गई, जब आईएएस विनय चौबे हजारीबाग के उपायुक्त पद पर कार्यरत थे। ब्यूरो का कहना है कि आरोपी ने सरकारी अभिलेखों में हेरफेर कर करोड़ों रुपए की सरकारी भूमि को निजी स्वामित्व में बदलने की कोशिश की। जांच में विनय सिंह की संलिप्तता की पुष्टि होने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।
एसीबी सूत्रों ने बताया कि छापेमारी में दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच की जा रही है। आगे की कार्रवाई बरामद सामग्रियों के विश्लेषण के बाद की जाएगी।