क्या जिन लोगों ने आजादी में योगदान दिया, उन्होंने वंदे मातरम का नारा लगाया? : रविशंकर प्रसाद

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क्या जिन लोगों ने आजादी में योगदान दिया, उन्होंने वंदे मातरम का नारा लगाया? : रविशंकर प्रसाद

सारांश

भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने आजादी के नायकों द्वारा वंदे मातरम के महत्व पर प्रकाश डाला। क्या आप जानते हैं कि यह नारा कितनी शक्ति से भरा है?

Key Takeaways

  • वंदे मातरम का नारा आजादी के संघर्ष का प्रतीक है।
  • देशभक्ति की भावना को जगाने में वंदे मातरम की महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • यह गीत रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा भी गाया गया।
  • सभी क्रांतिकारियों ने इस नारे को अपनाया।
  • आज प्रधानमंत्री मोदी ने इसके महत्व को फिर से रेखांकित किया।

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर इसके ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया।

उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में जितने भी क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी, उन सभी ने वंदे मातरम का नारा अवश्य लगाया।

उन्होंने कहा कि यह नारा इन क्रांतिकारियों को देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत करता था। ये सभी लोग वंदे मातरम का नारा लगाते हुए फांसी के फंदे को अपने गले में डाल लेते थे। दक्षिण में सुब्रमण्यम भारती ने इसका उद्घोष किया था, और इसके बाद रविंद्रनाथ टैगोर ने इसे विस्तार दिया। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बताया कि आखिर इस गीत को क्यों तोड़ा गया, क्योंकि जिन्ना को इससे नफरत थी। इसी वजह से पंडित नेहरू पीछे हट गए थे। इन सब बातों के बारे में देश को जानकारी होनी चाहिए। लोगों को यह जानना चाहिए कि कैसे कांग्रेस ने वंदे मातरम पर कुठाराघात किया और आज तक कांग्रेस का यही रुख है। इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।

भाजपा सांसद ने कहा कि इन लोगों ने केवल राजनीतिक लाभ के लिए देश का बंटवारा किया और वंदे मातरम की भावना को भी कमजोर करने की कोशिश की। लेकिन, आज प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में वंदे मातरम की ऐतिहासिकता को रेखांकित किया, जिसने सभी लोगों को देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत कर दिया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में वंदे मातरम में निहित राष्ट्रभक्ति की भावना को विस्तार से देशवासियों के सामने रखने का प्रयास किया। हम सभी को इस बारे में सीखने और समझने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री ने बताया कि वंदे मातरम के रचयिता केवल बंकिम बाबू ही नहीं, बल्कि बाद में लोकमान्य तिलक, अरविंदो घोष, बिपिन चंद्र पाल सहित जितने भी आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले लोग थे, उन सभी ने वंदे मातरम की भावना को आत्मसात किया था।

Point of View

बल्कि देशभक्ति की एक गहन भावना है। यह आवश्यक है कि हम इसके महत्व को समझें और आगे बढ़ें।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

वंदे मातरम का अर्थ क्या है?
वंदे मातरम का अर्थ है 'मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ'। यह एक अभिवादन है जो देशभक्ति को दर्शाता है।
कौन है वंदे मातरम के रचयिता?
वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय हैं।
क्या वंदे मातरम को राजकीय गीत माना जाता है?
वंदे मातरम को भारत का राष्ट्रीय गीत माना जाता है।
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