क्या जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट ने विजय प्राप्त की?
सारांश
Key Takeaways
- लेफ्ट समर्थित संगठनों ने चारों प्रमुख पदों पर जीत हासिल की।
- अध्यक्ष पद पर अदिति मिश्रा ने जीत दर्ज की।
- एबीवीपी को इस बार करारा झटका लगा।
- मतदान का प्रतिशत 67 रहा, जो पिछले वर्ष से कम है।
- वाम संगठनों का एकजुट होना महत्वपूर्ण माना गया।
नई दिल्ली, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनावों के नतीजे सामने आ गए हैं। केंद्रीय पैनल की चारों सीटों पर लेफ्ट समर्थित छात्र संगठनों ने विजय प्राप्त की है। पिछले वर्ष एक सीट पर जीतने वाली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) इस बार चारों सीटों पर चुनाव हार गई। इस बार जेएनयू छात्रसंघ चुनावों में मुख्य मुकाबला विद्यार्थी परिषद और लेफ्ट समर्थित संगठनों के बीच था।
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर अदिति मिश्रा, उपाध्यक्ष पद पर कीझाकूट गोपिका बाबू, महासचिव पद पर सुनील यादव और सचिव पद पर दानिश ने जीत हासिल की। 4 नवंबर को मतदान हुआ था, जिसमें सुबह से ही रुझान लेफ्ट उम्मीदवारों के पक्ष में आते रहे। हालांकि, एक सीट पर एबीवीपी के उम्मीदवार ने कुछ समय के लिए बढ़त बनाई, लेकिन अंततः चारों सीटों पर लेफ्ट का कब्जा हो गया।
वाम दलों के उम्मीदवारों ने सभी प्रमुख पदों पर जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन एनएसयूआई चुनाव में बुरी तरह से पिछड़ गया। इस वर्ष वाम संगठनों ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा, जिसमें एसएफआई, आइसा और डीएसएफ का गठबंधन शामिल था।
महत्वपूर्ण यह है कि लंबे समय बाद ये वाम संगठन मिलकर चुनावी मैदान में उतरे हैं। अध्यक्ष पद के लिए अदिति मिश्रा ने शुरुआत से ही अपनी बढ़त बनाए रखी। उपाध्यक्ष पद पर लेफ्ट के गोपिका बाबू ने जीत हासिल की, जबकि महासचिव पद पर सुनील यादव ने विजय प्राप्त की। मतदान के दौरान, एबीवीपी के राजेश्वर कांत दुबे ने कुछ समय के लिए बढ़त बनाई, लेकिन फिर से लेफ्ट उम्मीदवार ने उन्हें हराया।
संयुक्त सचिव पद पर भी लेफ्ट के दानिश अली ने जीत दर्ज की। लेफ्ट समर्थित संगठनों ने इसे विचारधारा की जीत बताया है और कहा कि जेएनयू के छात्रों ने एबीवीपी के विचारों को खारिज कर दिया है। मतदान की प्रक्रिया के दौरान कुल 8 मतदान केंद्र बनाए गए थे, जिसमें 9043 छात्र मतदाता थे। इस बार मतदान का प्रतिशत 67 रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में कुछ कम है।