क्या जस्टिस सूर्यकांत ने सीजेआई के रूप में शपथ ली? पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने दी बधाई
सारांश
Key Takeaways
- जस्टिस सूर्यकांत ने 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
- शपथ ग्रहण राष्ट्रपति द्वारा किया गया।
- उन्हें ९ फरवरी २०२७ तक कार्यकाल प्राप्त है।
- पूर्व सीजेआई की सिफारिश पर उनकी नियुक्ति हुई।
- उम्मीद है कि वे न्यायपालिका को मजबूत करेंगे।
नई दिल्ली, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह महत्वपूर्ण पद की शपथ दिलाई। शपथ लेने के बाद से देशभर से उन्हें बधाइयों का तांता लग गया है। कई प्रमुख नेता, न्यायिक जगत के लोग और आम नागरिक भी उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं।
इस अवसर पर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी जस्टिस सूर्यकांत को बधाई दी। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर ट्वीट करते हुए लिखा कि भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने पर उन्हें हार्दिक बधाई। उन्होंने न्यायपालिका को मजबूत बनाने और संविधान की गरिमा को बनाए रखने में उनके सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दीं।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में जस्टिस सूर्यकांत को भारत के नए चीफ जस्टिस के रूप में शपथ दिलाई। उनका कार्यकाल ९ फरवरी २०२७ तक रहेगा।
इस समारोह में देश-विदेश से कई प्रमुख नेता और न्यायिक हस्तियां मौजूद थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और पूर्व सीजेआई बी.आर. गवई जैसे कई प्रमुख व्यक्ति इस समारोह का हिस्सा बने। विशेष बात यह है कि भूटान, केन्या, मलेशिया, ब्राजील, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
जस्टिस सूर्यकांत ने पूर्व सीजेआई भूषण आर. गवई की जगह कार्यभार संभाला है। उन्हें यह पद राष्ट्रपति द्वारा संविधान के आर्टिकल 124 के क्लॉज (२) के तहत मिली शक्तियों के आधार पर नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति सीजेआई गवई की आधिकारिक सिफारिश के बाद हुई।
अब जब जस्टिस सूर्यकांत ने मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है, तो सभी उम्मीद कर रहे हैं कि वह अपने कार्यकाल में न्यायपालिका को और मजबूत करेंगे, लंबित मामलों को कम करने की दिशा में कदम उठाएंगे और आम लोगों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया को और आसान एवं पारदर्शी बनाएंगे। उनके कार्यकाल की अवधि करीब १५ महीने होगी।