क्या ज्योतिष में ग्रहों के साथ नक्षत्रों को इतना महत्व दिया जाता है?

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क्या ज्योतिष में ग्रहों के साथ नक्षत्रों को इतना महत्व दिया जाता है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि ज्योतिष में नक्षत्रों का महत्व क्या है? इस लेख में हम जानेंगे कि २७ नक्षत्र किस प्रकार से हमारे जीवन पर प्रभाव डालते हैं और उनका ज्योतिषीय महत्व क्या है।

Key Takeaways

  • नक्षत्रों का महत्व ज्योतिषीय गणना में महत्वपूर्ण है।
  • २७ नक्षत्रों के स्वामी ग्रहों का स्वभाव प्रभावित करता है।
  • कुंडली के १२ घरों में ग्रहों और नक्षत्रों का संबंध होता है।
  • नक्षत्रों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है।
  • ज्योतिष में नक्षत्रों की गणना आवश्यक है।

नई दिल्ली, १६ जून (राष्ट्र प्रेस)। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, आकाश में तारों का जो समूह है, उसे नक्षत्र कहा जाता है। ज्योतिषीय गणना के लिए आकाश को २७ नक्षत्रों में बांटा गया है।

जब आप इसे वैदिक ज्योतिष में अपनी कुंडली के हिसाब से देखते हैं, तो यह अधिक स्पष्ट होता है। किसी भी कुंडली की ज्योतिषीय गणना के लिए कुल ९ ग्रह और १२ राशियां होती हैं, और इसके साथ ही २७ नक्षत्र भी हैं। अर्थात्, हर ग्रह को ३ नक्षत्रों का स्वामी माना गया है।

कुंडली के हर भाव का स्वामी और कारक ग्रह भी होते हैं। उदाहरण के लिए, कुंडली के पहले भाव का स्वामी मंगल देव होते हैं और इस भाव का कारक ग्रह सूर्य है। दूसरे भाव का स्वामी शुक्र देव और कारक ग्रह गुरु बृहस्पति देव हैं।

इस प्रकार के ग्रहों के फल की गणना के लिए यह भी जानना आवश्यक है कि कौन सा ग्रह किस घर में है और कौन से नक्षत्र में है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इन २७ नक्षत्रों को दक्ष प्रजापति की पुत्रियां माना गया है।

एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि चंद्रमा लगभग २७ दिनों में पृथ्वी की पूरी परिक्रमा करता है, जबकि सूर्य मेष से लेकर मीन राशि तक हर महीने भ्रमण करते हैं। चंद्रमा जिस भी मुख्य सितारों के समूहों के बीच भ्रमण करता है, उससे २७ अलग-अलग तारा समूह बनते हैं। इस प्रकार, चंद्रमा सभी २७ नक्षत्रों में विचरण करता है।

इस २७ दिन के काल को नक्षत्र मास कहा जाता है। इस प्रकार २७ दिनों का एक नक्षत्र मास होता है।

वैदिक ज्योतिष और हिंदू कैलेंडर के अनुसार, २७ नक्षत्र हैं: अश्विन, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती। इन नक्षत्रों में जन्मे जातकों पर नक्षत्रों का गहरा प्रभाव पड़ता है।

ज्योतिष के अनुसार, १०८ मनके की माला धारण करने का भी संबंध नक्षत्रों से है। हर नक्षत्र के ४ चरण होते हैं, और २७ नक्षत्रों के कुल चरण १०८ होते हैं। इसलिए माला में १०८ दाने रखने के पीछे ज्योतिषीय कारण है।

हर नक्षत्र के स्वामी ग्रह के बारे में जानना आवश्यक है, क्योंकि इससे पता चलता है कि उस नक्षत्र काल में पैदा हुए जातक का स्वभाव कैसा होगा। श्रीकांत सौरभ के अनुसार, वैदिक ज्योतिष में अश्विन, मघा और मूल नक्षत्र के स्वामी केतु, भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा के स्वामी शुक्र, और अन्य नक्षत्रों के स्वामी ग्रह के बारे में जानना आवश्यक है।

हमारा भाव चक्र ३६० डिग्री में बाँटा गया है। इन २७ नक्षत्रों की डिग्री १३ डिग्री और २० कला होती है। इनमें से ६ नक्षत्रों को गण्ड मूल नक्षत्र के रूप में वर्णित किया गया है। श्रीकांत सौरभ ने बताया कि पराशर ज्योतिष के अनुसार, इन नक्षत्रों में जन्मे जातक को विशेष माना गया है।

कुंडली के १२ घरों में जहां भी ९ ग्रह होते हैं, वहां कोई न कोई नक्षत्र होता है। नक्षत्र को ग्रहों का घर कहा गया है। नक्षत्र वाले घर में जो ग्रह होगा, उसका स्वभाव भी वैसा ही होगा। इस प्रकार, नक्षत्रों की वजह से ग्रहों का स्वभाव भी प्रभावित होता है।

Point of View

यह जानना आवश्यक है कि नक्षत्रों का महत्व केवल ज्योतिष तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करता है। यह न केवल वैदिक ज्योतिष के लिए, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान के लिए भी महत्वपूर्ण है।
NationPress
20/06/2025

Frequently Asked Questions

नक्षत्र क्या होते हैं?
नक्षत्र आकाश में तारों के समूह होते हैं जो ज्योतिषीय गणना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कितने नक्षत्र होते हैं?
आकाश में कुल २७ नक्षत्र होते हैं।
नक्षत्रों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव होता है?
नक्षत्रों का प्रभाव हमारे स्वभाव, जीवन की दिशा और अवसरों पर पड़ता है।
क्या नक्षत्रों की गणना ज्योतिष में आवश्यक है?
हाँ, नक्षत्रों की गणना ज्योतिष में कुंडली के विश्लेषण के लिए आवश्यक है।
क्या हर नक्षत्र का एक स्वामी ग्रह होता है?
जी हाँ, हर नक्षत्र का एक स्वामी ग्रह होता है, जो उसके प्रभाव को निर्धारित करता है.