क्या पश्चिम बंगाल के दुर्गा पूजा में मसालों से बनी हैं कहावतें? देखिए काकद्वीप का अद्भुत पंडाल!

सारांश
Key Takeaways
- बर्नाली संघ की 62वीं वर्षगांठ पर 'कहावतें' थीम का पंडाल।
- ग्रामीण और शहरी जीवन की लोकोक्तियों का जीवंत प्रदर्शन।
- खाना पकाने की वस्तुओं से बना अद्भुत पंडाल।
- मुख्यमंत्री का वर्चुअल उद्घाटन।
- सामाजिक कार्यों की दिशा में कदम।
काकद्वीप, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के काकद्वीप में आयोजित होने वाले प्रसिद्ध दुर्गा पूजा समारोहों में से एक, बर्नाली संघ ने अपनी 62वीं वर्षगांठ मनाई है। इस बार की पूजा ने नवाचार का एक नया अध्याय खोला है। इस वर्ष की थीम 'कहावतें' है।
इस विशेष थीम के तहत एक अनोखा पंडाल तैयार किया गया है, जिसमें ग्रामीण और शहरी जीवन की कई प्रसिद्ध लोकोक्तियाँ जीवंत रूप में प्रस्तुत की गई हैं, जो आगंतुकों को आकर्षित कर रही हैं।
पंडाल को और भी जीवंत बनाने के लिए विभिन्न खाना पकाने की वस्तुओं से अद्भुत कला का निर्माण किया गया है। पान के पत्ते, मिर्च, दालें, फुचका, शाल के पत्ते, सोयाबीन, और मसालों का उपयोग कर एक अनोखा दृश्य बनाया गया है। पंडाल की हर कला स्थापना को देखकर ऐसा लगता है जैसे हर वस्तु किसी न किसी लोकोक्ति की कहानी कह रही हो। यह अनोखा प्रयोग पंडाल के दर्शकों को गहराई से सोचने पर मजबूर कर रहा है और उन्हें पारंपरिक कहावतों की याद दिला रहा है।
इस वर्ष की पूजा का उद्घाटन राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वर्चुअल माध्यम से किया। क्लब के अधिकारियों ने बताया कि काकद्वीप और दक्षिण 24 परगना के लोग इस पूजा में शामिल होंगे। इस साल की नवाचारी थीम के कारण जनता का उत्साह बढ़ गया है।
बर्नाली संघ ने सामाजिक कार्यों में भी कदम बढ़ाए हैं। रक्तदान शिविरों का आयोजन, शैक्षिक सामग्री का वितरण और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के साथ खड़े रहने जैसे कार्यक्रम भी उनकी वार्षिक गतिविधियों का हिस्सा हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि हर साल बर्नाली संघ की पूजा कुछ नया लेकर आती है, और इस बार लोकोक्तियों की छुअन एक अनूठा अनुभव प्रदान करेगी।
सामाजिक समर्पण और सांस्कृतिक नवाचार का यह संगम बर्नाली संघ को न केवल काकद्वीप बल्कि पूरे दक्षिण 24 परगना क्षेत्र में एक विशेष स्थान दिला रहा है। इस बार के थीम और पंडाल की सजावट के चलते, पूजा स्थल पर आने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। लोग न केवल पूजा अर्चना में भाग लेने आते हैं, बल्कि इस अनोखे और ज्ञानवर्धक पंडाल को देखकर भी आनंदित होते हैं।