क्या कला जगत को अपूरणीय क्षति हुई? 100 वर्ष की आयु में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के रचनाकार राम सुतार का निधन
सारांश
Key Takeaways
- राम जी सुतार का योगदान भारतीय कला में अद्वितीय है।
- उनकी कृतियों में भारतीय संस्कृति और इतिहास की झलक है।
- उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है।
- उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया है।
- उनका निधन भारतीय कला जगत के लिए एक बड़ी क्षति है।
नोएडा, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के कला और शिल्प जगत में एक अत्यंत दुखद घटना घटी है। विश्व प्रसिद्ध मूर्तिकार और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रचनाकार राम जी सुतार का निधन हो गया है। उन्होंने 100 वर्ष की उम्र में इस संसार को अलविदा कह दिया।
17 दिसंबर 2025 की रात नोएडा स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से नोएडा सेक्टर-19 में निवास कर रहे थे। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर है।
राम जी सुतार भारतीय मूर्तिकला के एक स्तंभ थे, जिन्होंने अपनी अद्भुत कला से न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व में देश का नाम रोशन किया। उनका सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक योगदान सरदार वल्लभभाई पटेल की ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ है, जो गुजरात के केवड़िया में स्थित है। यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है और भारत की तकनीकी, कलात्मक और सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। इस प्रतिमा ने राम सुतार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिलाई।
अपने लंबे और गौरवमयी करियर में राम सुतार ने देश के कई महान नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की मूर्तियों का निर्माण किया। संसद भवन से लेकर विभिन्न राज्यों की राजधानियों और सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित उनकी कृतियां आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं। उनकी कला में भारतीय संस्कृति, इतिहास और राष्ट्रभाव की झलक साफ दिखाई देती है।
राम जी सुतार को उनके अतुलनीय योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री (1999) और पद्म भूषण (2016) से नवाजा। इसके अलावा, उन्हें महाराष्ट्र राज्य का सर्वोच्च सम्मान, महाराष्ट्र भूषण अवार्ड, भी प्रदान किया गया। ये सभी सम्मान उनकी कला, साधना और देश के प्रति समर्पण का प्रमाण हैं।
100 वर्ष की आयु तक भी राम सुतार की रचनात्मक ऊर्जा और कला के प्रति लगन अनुकरणीय रही। वह नई पीढ़ी के कलाकारों के लिए प्रेरणास्रोत बने रहे। उनके निधन से भारतीय कला जगत में एक ऐसा खालीपन पैदा हो गया है, जिसकी भरपाई कर पाना कठिन है।