क्या रूस के कलमीकिया में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी ने 50,000 श्रद्धालुओं को आकर्षित किया?

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क्या रूस के कलमीकिया में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी ने 50,000 श्रद्धालुओं को आकर्षित किया?

सारांश

कलमीकिया में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी में 50,000 से अधिक श्रद्धालु आए। इस ऐतिहासिक घटना ने बौद्ध समुदाय में उत्साह का संचार किया। क्या आप जानते हैं कि इस प्रदर्शनी का आयोजन किस प्रकार किया गया?

Key Takeaways

  • भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी में 50,000 श्रद्धालु शामिल हुए।
  • कलमीकिया में बौद्ध धर्म प्रमुख धर्म है।
  • इस प्रदर्शनी का आयोजन भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है।
  • प्रदर्शनी के दौरान विशेष धार्मिक सेवाएं आयोजित की जा रही हैं।
  • यह आयोजन बौद्ध धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।

कलमीकिया (रूस), 18 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। रूस में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए 50,000 से अधिक श्रद्धालु मठ में पहुंचे। शनिवार को एक अधिकारी द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, भक्तों ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन के लिए एक किलोमीटर तक लंबी कतार में इंतजार किया।

अधिकारी ने बताया कि भारत से आई इस प्रदर्शनी को लेकर रूस के कलमीकिया गणराज्य में अद्वितीय प्रतिक्रिया देखी गई है। रूस के संस्कृति मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि रविवार तक 50,000 से ज्यादा श्रद्धालु प्रतिष्ठित गेदेन शेडुप चोइकोरलिंग मठ में स्थापित अवशेषों के दर्शन कर चुके हैं, जिसे 'शाक्यमुनि बुद्ध का स्वर्ण निवास' भी कहा जाता है।

इन पवित्र अवशेषों को, जो कि भारत की राष्ट्रीय धरोहर माने जाते हैं, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा राजधानी एलिस्टा लाया गया। इस प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ भारतीय भिक्षु भी शामिल थे।

बयान में कहा गया है कि प्रतिनिधिमंडल कलमीकिया की बौद्ध बहुल आबादी के लिए विशेष धार्मिक सेवाएं और आशीर्वाद आयोजित कर रहा है। कलमीकिया यूरोप का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां बौद्ध धर्म प्रमुख धर्म है। प्रदर्शनी की शुरुआत 11 अक्टूबर को हुई, जिसमें श्रद्धालुओं का आध्यात्मिक उत्साह स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

बयान में कहा गया है, "आज मठ से लगभग एक किलोमीटर दूर तक श्रद्धालुओं की कतार लगी हुई थी, जो इस आयोजन की गहरी गूंज को दर्शाती है। विशाल कलमीक मैदानों में स्थित, 1996 में खुले एक महत्वपूर्ण तिब्बती बौद्ध केंद्र, गोल्डन एबोड में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।"

अधिकारी ने कहा कि रूसी गणराज्य में अपनी तरह की पहली यह ऐतिहासिक प्रदर्शनी भारत और रूस के बीच गहरे सभ्यतागत संबंधों का प्रमाण है। उन्होंने कहा, "यह लद्दाख के श्रद्धेय बौद्ध भिक्षु और राजनयिक, 19वें कुशोक बकुला रिनपोछे की चिरस्थायी विरासत को पुनर्जीवित करता है, जिन्होंने मंगोलिया में बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित करने और कलमीकिया, बुरातिया और तुवा जैसे रूसी क्षेत्रों में बुद्ध धर्म में रुचि जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।"

इस कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के बीटीआई अनुभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी), राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सहयोग से किया गया है।

Point of View

बल्कि यह भारत और रूस के बीच सांस्कृतिक संबंधों को भी प्रगाढ़ बनाती है। यह आयोजन हमें एकजुटता और सांस्कृतिक समृद्धि का संदेश देता है।
NationPress
18/10/2025

Frequently Asked Questions

इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस प्रदर्शनी का उद्देश्य भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए प्रस्तुत करना और बौद्ध धर्म के प्रति जागरूकता फैलाना है।
क्या इस प्रदर्शनी में भाग लेना किसी विशेष धार्मिक सेवा का हिस्सा है?
हाँ, इस प्रदर्शनी के दौरान विशेष धार्मिक सेवाएं और आशीर्वाद भी आयोजित किए जा रहे हैं।
यह प्रदर्शनी कब तक चलेगी?
प्रदर्शनी 11 अक्टूबर से शुरू हुई है और इसकी समाप्ति की तिथि की जानकारी अभी तक नहीं दी गई है।