क्या देश में लोकतंत्र समाप्त करने वालों और बचाने वालों के बीच लड़ाई चल रही है? : कन्हैया कुमार

सारांश
Key Takeaways
- वोट का अधिकार लोकतंत्र का मूल है।
- भाजपा पर विधायकों को खरीदने का आरोप।
- लोकतंत्र की रक्षा के लिए संविधान का पालन आवश्यक है।
- राजद के नेता ने वोटर अधिकार यात्रा की सफलता की बात की।
- चुनाव आयोग के कार्यों पर सवाल उठाए गए।
लखीसराय, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता कन्हैया कुमार ने गुरुवार को कहा कि वोट का अधिकार छिनने का मतलब है कि नौकरी, रोजगार, पेंशन, और जमीन का अधिकार छिनना। इस देश में एक तरफ लोकतंत्र को समाप्त करने वाले लोग हैं, तो दूसरी तरफ लोकतंत्र बचाने वाले हैं, जो संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
लखीसराय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कन्हैया कुमार ने भाजपा की क्रोनोलॉजी को समझाते हुए कहा कि पहले इन्होंने ईडी, सीबीआई जैसी संस्थाओं का उपयोग कर विधायकों को धमकाया, फिर इन्हें खरीदकर सरकार में बदलाव किया गया। अब चुनाव आयोग और वोट चोरी की कोशिश की जा रही है। लेकिन, जब यह चोरी पकड़ ली गई, तो अब 'मुख्यमंत्री चोरी' का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि एक विधेयक लाया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री को जेल जाने पर हटाने का प्रावधान है। भाजपा लोकतंत्र को लाठीतंत्र में बदलना चाहती है। जब सरकार चोरी से बनेगी, तो उससे ईमानदारी की उम्मीद बेमानी है।
राजद नेता और राज्यसभा सांसद संजय यादव ने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' को पूरी तरह सफल बताते हुए कहा कि इस यात्रा में जन आस्था और जन विश्वास की झलक दिख रही है। पहले इस सरकार ने पढ़ाई, रोजगार, कमाई चुराई और अब वोट चुराने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि वोट चोरी और सीनाजोरी बिहार में नहीं चलेगी। बिहार लोकतंत्र की जननी रही है। उन्होंने चुनाव आयोग को निशाने पर लेते हुए कहा कि यह चुनाव आयोग भाजपा की लोकतंत्र निरोधक शाखा बन गया है। उन्होंने सरकार के नए बिल को लेकर कहा कि भाजपा लोकतंत्र को जंजीरों में जकड़ना चाहती है।