क्या कन्नौज में भाजपा के काटे गए वोट का फायदा अखिलेश यादव को मिला?

सारांश
Key Takeaways
- कन्नौज में भाजपा के वोट काटने के आरोप हैं।
- अखिलेश यादव ने इसका फायदा उठाया, ऐसा कहा गया है।
- वोटर लिस्ट में सुधार की आवश्यकता है।
- सरकार की योजनाओं का समय पर कार्यान्वयन जरूरी है।
- ‘जीवन प्रमाण पोर्टल’ बुजुर्गों के लिए सहायक है।
बरेली, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कन्नौज से भाजपा विधायक और योगी सरकार के मंत्री असीम अरुण ने रविवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि कन्नौज में भाजपा के वोटों को काटा गया, जिसका सीधा फायदा अखिलेश यादव ने उठाया।
उन्होंने आगे कहा कि मैं स्वयं कन्नौज से विधायक हूं और अखिलेश यादव यहीं से सांसद हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान कन्नौज में ऐसा कोई बूथ नहीं था जहाँ भाजपा के वोट न काटे गए हों। हर जगह 10 से 15 ऐसे मतदाता मिले, जिनके नाम गलत तरीके से वोटर लिस्ट से हटा दिए गए थे। यह चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का स्पष्ट प्रमाण है। उन्होंने आरोप लगाया कि जहाँ भाजपा समर्थकों के वोट काटे गए, वहाँ अखिलेश यादव के वोटों में वृद्धि हुई। मुझे नहीं पता कि पूरे प्रदेश में किसको कितना लाभ हुआ, लेकिन कन्नौज में इसका स्पष्ट लाभ अखिलेश यादव को मिला।
उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को समाप्त होना चाहिए। मैं इस बात की मांग करता हूँ कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण होना चाहिए। नगर निगम और पंचायत की अलग-अलग वोटर लिस्ट को एक किया जाना चाहिए और उसे आधार कार्ड से जोड़ा जाना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि वोटर लिस्ट हमारी चुनाव प्रक्रिया की एक कमजोर कड़ी बनी हुई है, जिसे दूर करने के लिए बिहार में एसआईआर के माध्यम से काम शुरू किया गया। चुनाव आयोग ने एक बैठक की, जिसमें इस पर चर्चा हुई कि क्या इसे आधार कार्ड से जोड़ा जा सकता है, जिसका मैं स्वागत करता हूँ। जब चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर सुझाव मांगे तो कांग्रेस ने कोई राय नहीं दी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सबसे ज्यादा सुझाव दिए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कौन सी पार्टी परिवर्तन के लिए काम करती है।
असीम अरुण ने भोजीपुरा स्थित विद्यालय का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विद्यालय के लिए डेढ़ करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। भवन को पूरी तरह नया रूप दिया जा रहा है, ताकि बच्चों को बेहतर फर्नीचर और भोजन की व्यवस्था मिल सके।
निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि टाइल्स लगाने का काम संतोषजनक नहीं है। साइट पर तैनात कर्मचारी ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई। असीम अरुण ने जेई की सेवा समाप्त करने और कुशल व्यक्ति की नियुक्ति करने का निर्देश दिया।
मंत्री ने कहा कि सरकार की सभी योजनाओं को समय पर लागू करना हमारी जिम्मेदारी है। वृद्धावस्था पेंशन के लिए अब फैमिली आईडी सॉफ्टवेयर से लाभार्थियों की पहचान की जाएगी। पेंशन पाने वालों को दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। अधिकारी उनके घर जाकर प्रक्रिया पूरी करेंगे। पहले कई वृद्धजन को मृत घोषित कर पेंशन रोक दी जाती थी। अब केंद्र सरकार की नई पहल के तहत ‘जीवन प्रमाण पोर्टल’ का उपयोग किया जा रहा है। इससे बुजुर्ग बिना घर से निकले ही ऑनलाइन प्रमाणपत्र दे सकते हैं। जैसे पेंशनर्स देते हैं, वैसे ही अब वृद्धावस्था पेंशन वाले भी इसका लाभ ले सकेंगे।