क्या 16 साल बाद पत्रकार बृजेश गुप्ता हत्याकांड में मिला इंसाफ?

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क्या 16 साल बाद पत्रकार बृजेश गुप्ता हत्याकांड में मिला इंसाफ?

सारांश

कानपुर में 16 साल पुराने पत्रकार बृजेश गुप्ता हत्याकांड में न्याय की जीत हुई। एडीजे-19 राकेश सिंह की अदालत ने चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला पत्रकारों की सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर कई सवाल उठाता है।

Key Takeaways

  • 16 साल बाद न्याय मिला
  • चार आरोपियों को उम्रकैद
  • पत्रकार की हत्या ने कानपुर को हिलाया
  • सुरक्षा प्रणाली पर सवाल उठे
  • लंबा कानूनी संघर्ष

कानपुर, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। 16 साल पुराने सनसनीखेज पत्रकार बृजेश गुप्ता हत्याकांड में अंततः न्याय की जीत हुई है। एडीजे-19 राकेश सिंह की अदालत ने न्यूज एंकर कनिका ग्रोवर, उसके भाइयों सन्नी और मन्नी, तथा रिश्तेदार सुरजीत सिंह को हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

वहीं, सबूत मिटाने के आरोप में बंटी उर्फ राजीव कुमार को पांच साल की सजा दी गई। बाबूपुरवा निवासी पत्रकार प्रभात गुप्ता के छोटे भाई बृजेश स्थानीय चैनल के संचालक थे। 13 जून 2009 की शाम करीब साढ़े चार बजे वह गौशाला चौराहे पर प्रभात से मिले और बोले कि कनिका ग्रोवर को घर छोड़ने जा रहे हैं। इसके बाद वे लौटकर नहीं आए।

अगले दिन उनकी कार की पिछली सीट पर बोरी में बंद उनका शव मिला। सिर पर चोट, एक आंख खुली, दूसरी बंद और रिवॉल्वरपांच अंगूठियां गायब थीं। यह दृश्य पूरे कानपुर को दहला देने वाला था।

जांच में खुलासा हुआ कि कनिका के पिता, राजेंद्र ग्रोवर, को चरस तस्करी और चोरी के केस में पुलिस ने जेल भेजा था।

इसकी जानकारी बृजेश ने कनिका को दी थी और बाद में उसे नौकरी से निकाल दिया था। इसी से नाराज होकर कनिका ने भाइयों सन्नी-मन्नी और रिश्तेदार सुरजीत सिंह के साथ साजिश रची।

बृजेश को बुलाया गया, फिर हथौड़े और चाकू से बेरहमी से हमला कर हत्या कर दी गई। बाद में शव को बोरे में भरकर कार में डाल दिया गया।

अभियोजन पक्ष ने 10 गवाहों को पेश किया। एडीजीसी गौरेंद्र नारायण त्रिपाठी के अनुसार सबूतों और गवाहों के बयान ने आरोपियों की भूमिका को स्पष्ट कर दिया। अदालत ने चारों मुख्य आरोपियों को आजीवन कारावास और सबूत मिटाने वाले बंटी को पांच साल की सजा सुनाई।

पत्रकार प्रभात गुप्ता ने उस समय गोविंद नगर थाने में कनिका, सन्नी, मन्नी, उनकी मां अल्का, सुरजीत और बंटी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।

लंबे कानूनी संघर्ष के बाद आया यह फैसला एक तरफ परिवार के लिए राहत लेकर आया, जबकि दूसरी तरफ पत्रकारों की सुरक्षा और न्याय प्रणाली की मजबूती पर सवाल खड़े कर गया।

Point of View

लेकिन पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन पर होने वाले हमलों को रोकना भी आवश्यक है। समाज को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
NationPress
15/10/2025

Frequently Asked Questions

बृजेश गुप्ता हत्याकांड कब हुआ था?
यह हत्याकांड 13 जून 2009 को हुआ था।
किसने बृजेश गुप्ता की हत्या की?
कनिका ग्रोवर और उसके भाइयों ने मिलकर बृजेश गुप्ता की हत्या की।
इस मामले में कितने लोग दोषी ठहराए गए?
चार लोग हत्या के दोषी पाए गए और एक व्यक्ति को सबूत मिटाने के लिए सजा दी गई।
क्या बृजेश गुप्ता का परिवार न्याय मिला?
हाँ, अदालत ने उनके परिवार को न्याय दिया है।
यह मामला पत्रकारों की सुरक्षा के लिए क्या संकेत देता है?
यह मामला दर्शाता है कि पत्रकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।