क्या कांवड़ यात्रा भक्ति है, प्रतियोगिता नहीं? महंत रवींद्र पुरी का श्रद्धालुओं से निवेदन

सारांश
Key Takeaways
- कांवड़ यात्रा भक्ति का मार्ग है, न कि शक्ति प्रदर्शन।
- श्रद्धालुओं को सादगी और संयम का पालन करना चाहिए।
- महंत रवींद्र पुरी ने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की अपील की।
- यह यात्रा तपस्या का मार्ग है।
- पुलिस को सहयोग देना आवश्यक है।
हरिद्वार, 14 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सावन के इस पवित्र महीने में देशभर से लाखों कांवड़िए हरिद्वार पहुंच रहे हैं। इस अवसर पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कांवड़ियों से सादगी, संयम और स्वास्थ्य का ध्यान रखने की भावुक अपील की है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा किसी शक्ति-प्रदर्शन की प्रतियोगिता नहीं, बल्कि भक्ति और श्रद्धा का मार्ग है।
महंत रवींद्र पुरी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, “सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। हरिद्वार में कांवड़ लेकर आने वाले श्रद्धालुओं को हम भगवान शंकर का स्वरूप, गण और दूत मानते हैं। ये कोई सामान्य भक्त नहीं, बल्कि भगवान के प्रतिनिधि होते हैं।”
उन्होंने विशेष तौर पर कांवड़ियों से अपील की कि वे अपनी क्षमता से अधिक वजन न उठाएं। ऐसा करना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। भारी कांवड़ उठाने से गर्दन, कंधे, कमर और घुटनों पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए जितना वजन आप आसानी से उठा सकें, बस उतना ही जल लेकर चलें। भगवान भोलेनाथ सिर्फ एक लोटा जल और सच्ची भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
महंत रवींद्र पुरी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह यात्रा शक्ति प्रदर्शन का माध्यम नहीं है। यह कोई मुकाबला नहीं है कि कौन कितनी दूर भारी कांवड़ लेकर चल सकता है। इसका उद्देश्य है मन की शुद्धता और शिव भक्ति। आप 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें और सच्चे दिल से भगवान को याद करें — वही सबसे बड़ी पूजा है।”
बातचीत के दौरान उन्होंने कांवड़ यात्रा में असामाजिक तत्वों की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि कुछ लोग पुलिस से भिड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे यात्रा की गरिमा प्रभावित हो रही है। मैं सभी श्रद्धालुओं से निवेदन करता हूं कि अगर किसी के बीच में कोई उपद्रवी या झगड़ा करने वाला दिखे, तो उसे पहचानकर पुलिस को सौंप दें। यह यात्रा तपस्या का मार्ग है, यहां झगड़े की कोई जगह नहीं है।”
उन्होंने उत्तराखंड पुलिस की भी सराहना की और उसे “मित्र पुलिस” बताया। उन्होंने कहा, “यह देवभूमि है और यहां की पुलिस सभी श्रद्धालुओं की सेवा में लगी है। पुलिस को सहयोग दें, उन्हें अपना मित्र मानें। उन्होंने आपके लिए रास्ते बनाए हैं, सुरक्षा सुनिश्चित की है, इसका आदर करें।”