क्या दुकानों पर नेमप्लेट लगाना अनिवार्य होगा? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया

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क्या दुकानों पर नेमप्लेट लगाना अनिवार्य होगा? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया

सारांश

क्या आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने दुकानों पर नेमप्लेट अनिवार्य करने की मांग पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है? यह याचिका उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा हेतु है। पढ़ें पूरी जानकारी और जानें उपभोक्ताओं के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने नेमप्लेट लगाने की मांग पर नोटिस जारी किया है।
  • उपभोक्ताओं का जानने का अधिकार, मौलिक अधिकार है।
  • नेमप्लेट पर महत्वपूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
  • यह नियम पूरे देश में लागू होना चाहिए।
  • उपभोक्ताओं की पहचान और शिकायतों की प्रक्रिया को आसान बनाएगा।

नई दिल्ली, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। देशभर की सभी दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के लिए उठाई गई मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस भेजा है। अदालत ने चार सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

यह याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई है, जिसमें यह अनुरोध किया गया है कि सभी दुकानों, रेहड़ी-पटरी वालों, शोरूम, डिस्ट्रीब्यूटर और डीलरों के लिए नेमप्लेट लगाना अनिवार्य किया जाए। इससे उपभोक्ताओं को दुकानदार की पहचान, पता, संपर्क नंबर और सामान की गुणवत्ता की जानकारी मिल सकेगी।

अश्विनी उपाध्याय ने इस संदर्भ में संवाददाताओं से कहा कि उपभोक्ता का “जानने का अधिकार” भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत एक मौलिक अधिकार है।

उपाध्याय ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और खाद्य सुरक्षा अधिनियम में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि चाहे वह रेहड़ी-पटरी वाला, छोटा दुकानदार, शोरूम का मालिक, डिस्ट्रीब्यूटर या डीलर हो, सभी को अपने प्रतिष्ठान के बाहर एक डिस्प्ले बोर्ड लगाना चाहिए। इस बोर्ड पर दुकानदार का नाम, पता, लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन नंबर जैसी जानकारी अनिवार्य होनी चाहिए। हालांकि, देशभर में इस नियम का पालन नहीं हो रहा है।

उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हाल ही में वह हरिद्वार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र गए थे, जहाँ उन्होंने देखा कि कई दुकानों, विशेष रूप से खान-पान से जुड़ी दुकानों पर कोई नेमप्लेट या जानकारी प्रदर्शित नहीं थी। इससे उपभोक्ताओं को दुकानदार की पहचान और सामान की गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्राप्त करने में कठिनाई होती है। खासकर व्रत और त्योहारों के दौरान, जब लोग अपनी खाने की पसंद-नापसंद को लेकर सजग रहते हैं, ऐसी जानकारी का अभाव उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का कारण बनता है।

उन्होंने कहा, "यह नियम केवल कांवड़ यात्रा या किसी विशेष अवसर तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि पूरे देश में साल के 365 दिन लागू होना चाहिए। यह उपभोक्ताओं का मौलिक अधिकार है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, खाद्य सुरक्षा अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत सुनिश्चित किया गया है।"

उपाध्याय ने कहा कि कई बार दुकानों पर डिस्प्ले बोर्ड न होने के कारण उपभोक्ता दुकानदार की पहचान नहीं कर पाते और उनकी शिकायत जिला उपभोक्ता मंच तक नहीं पहुंच पाती। नेमप्लेट अनिवार्य होने से उपभोक्ता आसानी से दुकानदार की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई कर सकेंगे।

Point of View

यह आवश्यक है कि उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की जानकारी हो। दुकानों पर नेमप्लेट का होना न केवल उपभोक्ताओं की पहचान की सुरक्षा करता है, बल्कि यह उन्हें बेहतर सेवाएं प्रदान करने में भी मदद करता है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने नेमप्लेट को अनिवार्य करने के लिए क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
नेमप्लेट में क्या जानकारी होनी चाहिए?
नेमप्लेट पर दुकानदार का नाम, पता, लाइसेंस नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर जैसी जानकारी होनी चाहिए।
यह याचिका किसने दायर की है?
यह याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई है।
क्या नेमप्लेट का होना जरूरी है?
जी हां, नेमप्लेट का होना उपभोक्ताओं के जानने के अधिकार की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
इस नियम का पालन क्यों नहीं हो रहा?
कई दुकानदार इस नियम का पालन नहीं कर रहे, जिससे उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।