क्या श्री माल्यवंत रघुनाथ मंदिर में आज भी भगवान राम और लक्ष्मण के प्रमाण हैं?
सारांश
Key Takeaways
- श्री माल्यवंत रघुनाथ मंदिर भगवान राम और लक्ष्मण के प्रमाण रखता है।
- यह मंदिर पहाड़ी पर स्थित है और इसका निर्माण शिला को काटकर किया गया है।
- भगवान राम ने यहां एक तीर चलाकर अपनी सेना के लिए सुरक्षित स्थान बनाया था।
- मंदिर की मूर्तियों में भगवान राम ध्यान की मुद्रा में हैं।
- इस मंदिर का निर्माण कृष्णदेवराय के शासनकाल में हुआ था।
नई दिल्ली, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भगवान राम और रामायण से जुड़े धार्मिक स्थल भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। चित्रकूट में आज भी भगवान राम के पदचिन्हों का प्रमाण मिलता है।
कर्नाटक के हम्पी में स्थित श्री माल्यवंत रघुनाथ मंदिर एक ऐसा स्थान है, जो भगवान राम के जीवन प्रसंगों का प्रतीक है। यहां आज भी भगवान राम और लक्ष्मण के होने के प्रमाण मिलते हैं।
यह मंदिर कर्नाटक के हम्पी के वेंकटपुरा के समीप पहाड़ी पर स्थित है, जिसे शिला को काटकर बनाया गया है। बड़ी शिला में कई दरारें आज भी विद्यमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने यहां अपने निवास स्थान के लिए पहले तीर चलाया था। तीर चलाने के कारण शिला में दरारें पड़ीं, जो अब तक बनी हुई हैं।
मान्यता है कि मां सीता का अपहरण होने के बाद भगवान राम और लक्ष्मण बहुत चिंतित थे। मानसून के कारण वे अपनी सेना के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं खोज पा रहे थे, तब भगवान राम ने एक विशाल चट्टान पर तीर चलाया और एक गुफा जैसी संरचना का निर्माण हुआ। इसी स्थान पर उन्होंने अपनी सेना के साथ बारिश से बचने के लिए विश्राम किया था।
यही नहीं, इसी स्थान पर भगवान हनुमान ने मां सीता के कुशल होने की सूचना प्रभु श्रीराम को दी थी। इसीलिए इस मंदिर को भगवान राम के सुख-दुख दोनों से जोड़ा जाता है।
हालांकि, मूल मंदिर के निर्माण का सटीक प्रमाण नहीं है, किंतु ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 600 वर्ष पहले कृष्णदेवराय के शासनकाल में स्थापित हुआ था। मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव, भगवान राम, मां सीता और हनुमान की प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं।
विशेष बात यह है कि मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की एक ऐसी मूर्ति है, जो ध्यान की मुद्रा में है। गर्भगृह में भगवान राम आसन पर बैठे हैं, उनके साथ कमल पर मां सीता और बगल में भगवान लक्ष्मण भी उपस्थित हैं। यह भारत की पहली भगवान राम की मूर्ति है, जिनके हाथों में कोई अस्त्र नहीं है। सामान्यतः भगवान राम के साथ धनुष और बाण का चित्रण होता है।
मंदिर का अधिकांश हिस्सा अब जर्जर हो चुका है, और यह भी इसलिए है क्योंकि मुगल काल में इस मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया गया था। मंदिर के सामने आज भी एक विशाल शिला स्थित है।