क्या कर्नाटक में सुधा मूर्ति के सर्वेक्षण से इनकार पर संतोष लाड का सम्मान करना चाहिए?

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क्या कर्नाटक में सुधा मूर्ति के सर्वेक्षण से इनकार पर संतोष लाड का सम्मान करना चाहिए?

सारांश

कर्नाटक में सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण पर बढ़ते विवाद में सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति ने भाग लेने से इंकार कर दिया है। श्रम मंत्री संतोष लाड ने उनके फैसले का सम्मान करने की बात कही। जानें इस सर्वेक्षण की जटिलताएँ और इसके संभावित प्रभाव।

Key Takeaways

  • सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति ने सर्वेक्षण में भाग लेने से इंकार किया है।
  • सर्वेक्षण स्वैच्छिक है और हाईकोर्ट द्वारा मान्यता प्राप्त है।
  • कांग्रेस मंत्री संतोष लाड ने उनके फैसले का सम्मान किया।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में 90 प्रतिशत सहयोग प्राप्त हुआ है।
  • आरएसएस की गतिविधियों पर भी चर्चा हुई है।

बेंगलुरु, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक में सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी, राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने इस सर्वे में भाग लेने से इंकार कर दिया है। कांग्रेस के श्रम मंत्री संतोष लाड ने उनके निर्णय का सम्मान करने की बात कही।

सुधा मूर्ति ने कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को पत्र लिखकर बताया कि वे किसी पिछड़े वर्ग से संबंधित नहीं हैं, इसलिए उनका व्यक्तिगत विवरण सरकार के लिए उपयोगी नहीं होगा। हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार, सर्वे स्वैच्छिक है, इसलिए इनकार वैध है।

संतोष लाड ने बेंगलुरु में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "जो कुछ भी उन्होंने कहा है, वह अभिव्यक्ति का एक तरीका है। यह उनकी पसंद है। सरकार होने के नाते हम किसी को मजबूर नहीं कर सकते। कौन प्रभावशाली है, यह व्यक्तिपरक है। मुझे नहीं लगता कि इसका समाज पर कोई प्रभाव पड़ेगा। अगर उन्होंने अपना रुख अपनाया है, तो मैं उनका सम्मान करूंगा।"

उन्होंने आगे कहा, "जो होना चाहिए, उसे सरकारी फैसले में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। अगर वह राज्य सरकार चलाना चाहती हैं, तो उन्हें अन्य मुद्दों पर भी बोलना चाहिए।"

लाड ने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के उस बयान से सहमति जताई, जिसमें उन्होंने कहा था कि सर्वे में भागीदारी जबरन नहीं की जा सकती।

यह सर्वे 22 सितंबर से शुरू हुआ है, जो 7 करोड़ लोगों को कवर करेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में 90 प्रतिशत सहयोग प्राप्त हुआ है, लेकिन बेंगलुरु में प्रगति धीमी है।

प्रियांक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर सरकारी परिसरों में आरएसएस की गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग का समर्थन किया। लाड ने कहा, "आरएसएस की शाखाएं सरकारी स्कूलों, पार्कों और मंदिरों में चल रही हैं, जो संविधान की भावना के विरुद्ध है। ये बच्चों में नकारात्मक विचार डाल रही हैं।"

Point of View

बल्कि यह समाज में विभिन्न वर्गों की सच्चाई को उजागर करने का एक अवसर भी है। यह आवश्यक है कि सभी वर्गों की आवाज़ सुनी जाए, ताकि नीति निर्माण में संतुलन बना रह सके।
NationPress
16/10/2025

Frequently Asked Questions

सर्वेक्षण क्या है?
सर्वेक्षण एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से विभिन्न आंकड़े और जानकारी एकत्रित की जाती हैं।
सुधा मूर्ति ने सर्वेक्षण में भाग क्यों नहीं लिया?
उन्होंने कहा कि वे किसी पिछड़े वर्ग से संबंधित नहीं हैं, इसलिए उनका व्यक्तिगत विवरण सरकार के लिए उपयोगी नहीं होगा।
क्या सर्वेक्षण में भाग लेना अनिवार्य है?
नहीं, हाईकोर्ट के निर्णय के अनुसार, सर्वेक्षण स्वैच्छिक है।
सर्वेक्षण का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य राज्य के विभिन्न वर्गों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन करना है।
क्या इस सर्वेक्षण का समाज पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि इसका समाज पर प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन यह व्यक्तिपरक है।