क्या कर्नाटक के विधायक एसएन सुब्बा रेड्डी पर ईडी का शिकंजा?

सारांश
Key Takeaways
- कर्नाटक के विधायक पर ईडी की कार्रवाई
- बेंगलुरु में 5 ठिकानों पर छापेमारी
- विदेशी संपत्तियों को छुपाने का आरोप
- ईडी की जांच का उद्देश्य अवैध गतिविधियों पर अंकुश
- हरियाणा में भी ईडी की कार्रवाई
बेंगलुरु, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए कर्नाटक के विधायक एसएन सुब्बा रेड्डी और उनके परिवार के सदस्यों पर विदेशी संपत्तियों को गुप्त रखने के आरोप में जांच आरंभ की है। फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (एफईएमए) की धारा 37 के तहत, ईडी ने बेंगलुरु के 5 विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की।
विधायक सुब्बा रेड्डी के आवास, उनके व्यापारिक प्रतिष्ठानों और करीबी सहयोगियों के ठिकानों पर ईडी की कार्रवाई जारी है। यह छापेमारी उनके और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा विदेशों में अघोषित संपत्ति रखने और अवैध निवेश के आरोपों पर आधारित है।
ईडी के अनुसार, एसएन सुब्बा रेड्डी और उनके परिवार पर विदेशी खातों में बड़ी राशि जमा करने, साथ ही मलेशिया, हांगकांग और जर्मनी में अचल संपत्तियों में निवेश करने के आरोप लगे हैं। इन संपत्तियों और निवेशों को भारतीय अधिकारियों से छुपाने का आरोप भी है, जो फेमा कानून का उल्लंघन है। ईडी उनकी अवैध विदेशी संपत्तियों की जांच कर रही है।
कर्नाटक के अलावा, हरियाणा में भी ईडी की टीमें सक्रिय हैं। ईडी ने हरियाणा में प्रोबो ऐप संचालित करने वाली कंपनी पर कार्रवाई करते हुए 284 करोड़ रुपये की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है। गुरुग्राम और जिंद में ईडी ने प्रोबो मीडिया टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और इसके प्रमोटर्स सचिन सुभाषचंद्र गुप्ता और आशीष गर्ग के ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई पीएमएलए के तहत की गई है।
ईडी की जांच का मुख्य उद्देश्य कंपनी के ऐप और वेबसाइट प्रोबो के माध्यम से भारत में चल रही अवैध सट्टेबाजी और जुए की गतिविधियों पर रोक लगाना है।
ज्ञात हो कि प्रोबो ऐप और वेबसाइट को ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन यह वास्तव में लोगों को 'हां या ना' जैसे सवालों पर पैसे लगाने के लिए प्रेरित करता है, जो सट्टेबाजी का एक रूप है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें साधारण सवालों के उत्तर देकर पैसे कमाने का प्रलोभन दिया गया, लेकिन यह वास्तव में एक सट्टेबाजी योजना थी। इस योजना में लोग अधिक लाभ की उम्मीद में बार-बार पैसे लगाते रहे और अंततः अपनी राशि खो दी।