क्या 26 जुलाई को मुंबई और अहमदाबाद ने त्रासदी का सामना किया?

सारांश
Key Takeaways
- मुंबई में 2005 की बाढ़ ने गंभीर आर्थिक क्षति पहुंचाई।
- अहमदाबाद में 2008 के बम धमाकों ने 56 लोगों की जान ली।
- प्राकृतिक आपदाएं और मानव जनित त्रासदियां हमेशा समाज को प्रभावित करती हैं।
- सरकार ने आपदा के बाद कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
- जनता को एकजुट होकर आपदाओं का सामना करना चाहिए।
नई दिल्ली, 25 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आजाद भारत के इतिहास में 2000 के दशक के दो विशेष वर्ष हैं जब भारत के दो प्रमुख शहरों ने अलग-अलग दुखद घटनाओं का सामना किया। एक ओर, 2005 में मुंबई में आई बाढ़ ने हजारों लोगों की जिंदगी को लील लिया। वहीं दूसरी ओर, 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों ने पूरे देश को दहशत में डाल दिया। 26 जुलाई को ये दोनों घटनाएं हुईं, जिन्होंने महाराष्ट्र और गुजरात में कोहराम मचाया, लेकिन इसका असर पूरे देश में महसूस किया गया।
26 जुलाई, 2005 को मुंबई में बरसी आसमानी आफत ने शहर की आर्थिक रीढ़ को तोड़ दिया। इस त्रासदी में 1,000 से अधिक लोगों की जान गई। तीन साल बाद, 2008 में, अहमदाबाद में 70 मिनट के भीतर 56 बम धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई और 200 से अधिक लोग घायल हुए।
20 साल पहले, मुंबई ने अपनी सबसे विनाशकारी बाढ़ का सामना किया। 26 जुलाई, 2005 को शहर में कुछ ही घंटों में 900 मिलीमीटर बारिश हुई। यह इस बात का संकेत है कि मुंबई में सालाना औसतन 2,000 मिमी बारिश होती है, लेकिन उस दिन उसे सालभर की औसत बारिश का लगभग 45 प्रतिशत सहना पड़ा। यह बारिश शहर के इतिहास की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदाओं में से एक मानी जाती है।
इस बाढ़ के कारण मुंबई को जबरदस्त आर्थिक क्षति उठानी पड़ी। पेयजल की आपूर्ति, सीवेज, और वर्षा जल स contamination से प्रभावित हुआ। सरकार ने पानी की टंकियों में क्लोरीन मिलाने का आदेश दिया। बाढ़ के कारण शहर की लाइफलाइन, मुंबई की रेल सेवा, बाधित हो गई। इस आपदा में 4,000 से अधिक टैक्सियां, 900 बेस्ट बसें, और 37,000 ऑटो रिक्शे नष्ट हुए। लाखों लोग लोकल ट्रेन पर निर्भर थे, लेकिन जलमग्न पटरियों के कारण यात्रा स्थगित हो गई। बाढ़ के पानी में मृत पशुओं के शव तैरते हुए दिखे, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया। इस आपदा में 1,000 से अधिक लोगों की मौत हुई।
मुंबई की त्रासदी के तीन साल बाद, गुजरात के लिए भी एक काला दिन आया। अहमदाबाद में 70 मिनट के भीतर 21 बम विस्फोट हुए। इस हमले में 56 लोग अपनी जान गंवाए और 200 से अधिक लोग घायल हुए। इस आतंकी हमले से पहले, मीडिया चैनलों को आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की ओर से चेतावनी भरे ई-मेल भेजे गए थे।
बम साइकिलों पर टिफिन कैरियर में लगाए गए थे, जो जयपुर बम ब्लास्ट के समान थे। विस्फोट में अहमदाबाद नगर परिवहन सेवा की सिटी बसें निशाना बनीं। पहले धमाकों के 40 मिनट बाद दो अस्पताल परिसरों में भी हमले हुए, जहां शुरुआती धमाकों के पीड़ितों को भर्ती किया गया था। विस्फोट के एक दिन बाद, गुजरात पुलिस ने कई महत्वपूर्ण बम निष्क्रिय किए।
अहमदाबाद ब्लास्ट के वक्त देश में यूपीए सरकार और राज्य में भाजपा का शासन था। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने विस्फोट स्थल का दौरा किया। धमाकों की जांच क्राइम ब्रांच की विशेष टीमों को सौंपी गई। पुलिस ने बम विस्फोट के सिलसिले में संदिग्ध मास्टरमाइंड मुफ्ती अबू बशीर को गिरफ्तार किया। फरवरी, 2022 में, अहमदाबाद की विशेष अदालत ने 77 आरोपियों में से 28 को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया और 11 को आजीवन कारावास, जबकि 38 को मौत की सजा सुनाई।