क्या कश्मीर में छात्रों ने पेड़-पौधों को रक्षासूत्र बांधकर रक्षाबंधन मनाया?

सारांश
Key Takeaways
- पर्यावरण संरक्षण का महत्व
- रक्षाबंधन का अनोखा अंदाज
- भाई-बहन के रिश्ते की महत्ता
- शहीदों को याद करना
- पेड़-पौधों की रक्षा करने का संकल्प
कश्मीर, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट स्थित स्कूलों में पर्यावरण संरक्षण के महत्व को उजागर करने के लिए रक्षाबंधन पर एक विशेष आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्रों ने पेड़-पौधों और वृक्षों को रक्षासूत्र बांधा।
छात्रों ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जिस प्रकार सुरक्षा बल सीमाओं की रक्षा करते हैं, उसी तरह पेड़ भी हमें स्वच्छ हवा प्रदान करके हमारी रक्षा करते हैं। कार्यक्रम के दौरान, बच्चों ने पौधों को राखी बांधी और सभी से इस रक्षाबंधन पर एक-दूसरे और पर्यावरण की रक्षा के लिए ऐसे ही कदम उठाने का निवेदन किया।
इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर के सामा चक में शहीद वीर उदयमान सिंह की बहन कंचन, जो पिछले 26 वर्षों से हर रक्षाबंधन पर अपने भाई के पास राखी लेकर पहुंचती हैं, उन्होंने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में बताया कि उनके भाई को शहीद हुए 26 साल हो चुके हैं। उन्होंने टाइगर हिल पर शहादत दी थी और कभी भी पीठ नहीं दिखाई। बचपन में जब भाई घर पर होते थे, हम रक्षाबंधन बहुत उत्साह के साथ मनाते थे। लेकिन, जब वे सेना में थे, तब मैं उन्हें टेलीग्राम के माध्यम से राखी भेजती थी। वे उस राखी का बेसब्री से इंतजार करते थे। टेलीग्राम से जब भी उनका खत आता था, उसमें उनके प्यार के तोहफे और कुछ पैसे भी होते थे।
कंचन ने कहा कि आज 26 साल बीत चुके हैं, लेकिन मैं हर रक्षाबंधन पर अपने भाई के पास आती हूं। आमतौर पर हर भाई अपनी बहन के पास राखी बंधवाने आता है, लेकिन आज मेरा भाई हमारे बीच नहीं है। उन्होंने भारत मां की आन-बान और शान की रक्षा के लिए शहीद हो चुका है। उन्हें सेना मेडल से भी नवाजा गया है। कंचन ने आगे कहा कि मैं सभी भाई-बहनों से कहना चाहती हूं कि आपसी प्रेम को हमेशा बनाए रखें। आज मैं अपने भाई को याद करते हुए उनके घर आई हूं और उन्हें राखी बांधकर मुझे बहुत खुशी महसूस होती है।