क्या हैं सुशीला कार्की? जिन्होंने संभाली नेपाल की सत्ता की कमान?

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क्या हैं सुशीला कार्की? जिन्होंने संभाली नेपाल की सत्ता की कमान?

सारांश

नेपाल एक गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहा है, और इस कठिन समय में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री चुना गया है। जानिए उनकी यात्रा और न्यायपालिका में उनके योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को बिराटनगर में हुआ।
  • उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री ली।
  • वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं।
  • उनका कार्यकाल विवादों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी।
  • अभी, उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया है।

नेपाल, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान में नेपाल जेन जी आंदोलन और विरोध प्रदर्शनों के कारण गंभीर राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है। इस बीच, प्रदर्शनकारियों ने नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चुना है।

73 वर्षीय सुशीला कार्की ने शुक्रवार को नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उन्हें यह शपथ दिलाई।

सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के बिराटनगर में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यहीं से प्राप्त की और 1972 में बिराटनगर से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने भारत का रुख किया और 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।

भारत से अपने संबंधों को लेकर कार्की हमेशा भावुक रही हैं। वे बताती हैं कि उनका घर भारत-नेपाल सीमा से मात्र 25 मील दूर है। बचपन में वे नियमित रूप से बॉर्डर मार्केट जाया करती थीं।

1978 में सुशीला कार्की ने त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। अगले ही साल उन्होंने बिराटनगर में वकालत की शुरुआत की। 1985 में, वे धरान स्थित महेंद्र मल्टीपल कैंपस में सहायक अध्यापिका भी रहीं।

उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ 2009 में आया जब उन्हें नेपाल सुप्रीम कोर्ट में अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। एक साल बाद, 2010 में, वे स्थायी न्यायाधीश बनीं। उनकी मेहनत, ईमानदारी और निडर छवि ने उन्हें न्यायपालिका में एक अलग पहचान दिलाई।

2016 में, वे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनीं और 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभाला। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि नेपाल की न्यायिक व्यवस्था के लिए भी ऐतिहासिक मानी गई।

हालांकि, उनका कार्यकाल विवादों से भी अछूता नहीं रहा। अप्रैल 2017 में तत्कालीन सरकार ने संसद में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया। उन पर पक्षपात और सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप के आरोप लगाए गए। प्रस्ताव आने के साथ ही उन्हें पद से निलंबित कर दिया गया। लेकिन इस घटना ने उनकी छवि को और मजबूत किया। जनता ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता के समर्थन में आवाज उठाई और सुप्रीम कोर्ट ने संसद को आगे की कार्रवाई से रोक दिया। बढ़ते दबाव के तहत संसद को कुछ ही हफ्तों में प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। इस पूरे प्रकरण ने सुशीला कार्की को एक ऐसी निडर न्यायाधीश के रूप में स्थापित किया जो सत्ता के दबाव के आगे नहीं झुकतीं।

आज, जब नेपाल एक गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है, तो सुशीला कार्की को देश संभालने की जिम्मेदारी दी गई है।

Point of View

सुशीला कार्की की नियुक्ति नेपाल के लिए एक नई उम्मीद का संकेत है। उनके अनुभव और न्यायपालिका में उनकी भूमिका, इस समय की चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकती है।
NationPress
12/09/2025

Frequently Asked Questions

सुशीला कार्की कौन हैं?
सुशीला कार्की नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं, जिन्हें हाल ही में अंतरिम प्रधानमंत्री चुना गया है।
सुशीला कार्की ने अपने करियर की शुरुआत कब की?
सुशीला कार्की ने 1979 में बिराटनगर में वकालत की शुरुआत की थी।
क्या सुशीला कार्की ने कोई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं?
हां, वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
उनके कार्यकाल के दौरान क्या विवाद हुए?
उनके खिलाफ 2017 में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन जनता के समर्थन से उन्होंने अपनी छवि को मजबूत किया।
सुशीला कार्की का योगदान नेपाल की न्यायपालिका में क्या है?
उनकी मेहनत और निडरता ने उन्हें न्यायपालिका में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।