क्या कांवड़ यात्रा में शामिल असामाजिक तत्व सच्चे भक्तों का अपमान कर रहे हैं? : राकेश टिकैत

सारांश
Key Takeaways
- कांवड़ यात्रा एक धार्मिक परंपरा है जो श्रद्धा से भरी होती है।
- असामाजिक तत्व इस यात्रा का अपमान कर रहे हैं।
- राकेश टिकैत ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
- नशा और मांसाहार से परहेज करें।
- कांवड़ के वजन को सीमित करने की आवश्यकता है।
मुजफ्फरनगर, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सावन के इस पवित्र महीने में कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ स्थानों पर हुई हिंसक घटनाएं इस धार्मिक परंपरा की गरिमा को प्रभावित कर रही हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने इन घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा एक शांतिपूर्ण धार्मिक परंपरा है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व इसे बदनाम कर रहे हैं।
टिकैत ने कहा कि ऐसे उपद्रवियों को पहचान कर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि सच्चे भक्तों की आस्था का सम्मान बना रहे।
रविवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में टिकैत ने कहा कि इस तरह की करतूतें करने वाले लोग बहुत कम होते हैं, जैसे एक लाख में से 20 लोग जो तोड़फोड़ या मारपीट जैसी गतिविधियों में शामिल होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अधिकांश कांवड़िए श्रद्धा और भक्ति से यात्रा में भाग लेते हैं। उनके पास न तो ऐसी गलत मानसिकता के लिए समय होता है और न ही ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की इच्छा।
टिकैत ने कहा कि कांवड़ यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को सावन के इस पवित्र महीने में नशा और मांसाहार जैसे तामसिक भोजन से पूरी तरह बचना चाहिए। उन्होंने सिख समुदाय का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे सिख एक बार अमृत छकने के बाद शराब और मांसाहार से हमेशा के लिए दूरी बना लेते हैं, वैसे ही कांवड़ियों को भी कांवड़ उठाने के बाद ऐसी चीजों को स्थायी रूप से छोड़ देना चाहिए। यह उनकी आस्था और आत्म-अनुशासन को और मजबूत करेगा।
राकेश टिकैत ने भारी-भरकम कांवड़ उठाने की प्रतियोगिता के बढ़ते चलन पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह प्रथा ठीक नहीं है, जहां लोग हर साल अपनी कांवड़ का वजन बढ़ाते जा रहे हैं। यह वेटलिफ्टिंग की तरह नहीं है, बल्कि कांवड़िए इसे लंबी दूरी तक ले जाते हैं। इससे बच्चों और युवाओं की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।
टिकैत ने कहा कि सामाजिक संगठनों, खासकर हरिद्वार की श्री गंगा सभा को इस मुद्दे पर आगे आना चाहिए। श्री गंगा सभा के सचिव ने भी इस पर बयान जारी किया है, जिसमें इस तरह की प्रतियोगिताओं पर रोक लगाने की बात कही गई है।
टिकैत ने प्रशासन से मांग की है कि इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए या कानून बनाया जाए, जिसमें कांवड़ के वजन को व्यक्ति के शरीर के वजन का 10-15 प्रतिशत तक सीमित किया जाए। उदाहरण के लिए, 70 किलो वजन वाले व्यक्ति को अधिकतम 7-10 लीटर जल या सामान ले जाने की अनुमति हो। उन्होंने यह भी कहा कि गंगा का जल आस्था का प्रतीक है और कोई भी उसकी महत्ता से बड़ा नहीं हो सकता। जो लोग माहौल खराब कर रहे हैं उन्हें पहचानना चाहिए। कांवड़ यात्री की वेशभूषा में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना ठीक नहीं है।