क्या कावेरी डेल्टा में बाढ़ ने किसानों की फसल को खतरे में डाल दिया है?
सारांश
Key Takeaways
- किसानों की फसल बाढ़ से प्रभावित हुई है।
- मुआवजा की मांग तेज हो गई है।
- सरकार से शीघ्र कार्रवाई की अपील की जा रही है।
- किसान अपने खर्च पर पानी निकालने पर मजबूर हैं।
- फसल खरीदने की प्रक्रिया में देर हो रही है।
चेन्नई, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कावेरी डेल्टा क्षेत्र के किसान वर्तमान में अपनी फसल के गंभीर नुकसान की स्थिति से काफी चिंतित हैं। यहाँ पर हजारों एकड़ धान के खेतों में बारिश का पानी भर गया है। इससे हाल ही में काटी गई कुरुवई फसल और मौजूदा सांबा फसल दोनों संकट में हैं। किसान आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि यदि जल्द ही पानी नहीं निकाला गया तो फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी।
किसानों ने तमिलनाडु सरकार से मांग की है कि उन्हें हर एकड़ के नुकसान के लिए 35,000 रुपए मुआवजा दिया जाए। साथ ही, उन्होंने इस बात की आवश्यकता जताई है कि नुकसान का आकलन जल्दी और पारदर्शी तरीके से किया जाए, जिससे विवाद न हो और सभी प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा मिल सके।
ऑल फार्मर्स एसोसिएशन कोऑर्डिनेशन कमेटी के अनुसार, तंजावुर, तिरुवरूर, नागपट्टिनम और मयिलादुथुराई जिलों में एक लाख से ज्यादा कुरुवई के खेत अभी भी पानी में डूबे हुए हैं। इसके अलावा, लगभग 50,000 एकड़ सांबा फसल भी प्रभावित हुई है। किसान चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि खेतों में पानी की स्थिति लगातार बनी हुई है, जिससे फसल को और नुकसान होने का खतरा बढ़ रहा है।
किसानों ने बताया कि वे अपनी फसल को बचाने के लिए अपने खर्चे पर मोटर मशीनें लेकर पानी निकालने के लिए मजबूर हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो रही है, क्योंकि फसल पहले ही बर्बादी के कगार पर है। उनका कहना है कि यदि सरकार समय रहते कदम नहीं उठाती, तो नुकसान और बढ़ सकता है।
समन्वय समिति के अध्यक्ष पी.आर. पांडियन ने कहा कि तिरुवरूर जिले के अरासुर और इलायूर जैसे इलाकों में स्थिति सबसे गंभीर है।
उन्होंने कहा, "यहां के किसानों की फसल पूरी तरह पानी में डूबी हुई है और उन्हें बचाने के उपायों की बहुत आवश्यकता है। सांबा की फसल अब पानी में सड़ने लगी है। कटाई की गई कुरुवई फसल भी बारिश से खराब हो रही है, क्योंकि सरकार द्वारा फसल खरीदने की प्रक्रिया बहुत धीमी है। कई स्थानों पर डायरेक्ट प्रोक्योरमेंट सेंटर (डीपीसी) में बोरियों की कमी के कारण फसल उठाने में देरी हो रही है।"
पांडियन ने आगे कहा कि अकेले तिरुवरूर जिले में लगभग दो लाख मीट्रिक टन धान अभी तक नहीं खरीदा गया है। आस-पास के जिलों में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
उन्होंने तमिलनाडु सिविल सप्लाइज कारपोरेशन (टीएनसीएससी) से अपील की है कि वे जल्दी से जल्दी गीले धान को ले जाएं और फसल खरीदने की प्रक्रिया में तेजी लाएं ताकि और नुकसान न हो।
किसानों के नेता ने यह भी सुझाव दिया कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए धान खरीदने का स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार किया जाना चाहिए। इससे किसानों को समय पर राहत मिल सकेगी और फसल खराब होने की घटनाओं को रोका जा सकेगा।
पंडियन ने आरोप लगाया कि निगरानी की कमी के कारण खरीदे गए धान के परिवहन का कुप्रबंधन हो रहा है। ट्रक संचालन टीएनसीएससी अधिकारियों के सीधे नियंत्रण में नहीं है, बल्कि ठेकेदारों द्वारा निर्देशित किया जा रहा है। यदि व्यवस्था को जवाबदेह बनाना है, तो इसमें बदलाव लाना होगा।